Beverly Hills Supper Club Fire Memoir: भारत के इतिहास में 25 मई 2024 तारीख एक खौफनाक अग्निकांड की बरसी के तौर पर दर्ज हो गई है। प्रधानमंत्री PM मोदी के प्रदेश गुजरात के राजकोट जिले में बने TRP गेम जोन में लगी भीषण आग में जिंदा जलकर 35 लोग मारे गए। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। इस अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गेम जोन जैसा अग्निकांड एक क्लब में भी हो चुका है।
उस अग्निकांड की आज 47वीं बरसी है, जिसमें 165 लोग जिंदा जलकर मर गए थे और 200 से ज्यादा लोग ऐसे झुलस गए गए थे कि उनकी जिंदगी नासूर बन गई। जी हां, यह अग्निकांड अमेरिका के एक क्लब में हुआ था। केंटकी शहर के साउथगेट में बेवर्ली हिल्स सपर नाइट क्लब में 28 मई 1977 की रात को मेमोरियल डे हॉलिडे वीकेंड के दौरान भीषण आग लगी थी और आग बुझने के बाद अंदर लाशों के चिथड़े मिले थे और इतनी गंदी दुर्गंध थी कि कई फायर कर्मी तक बेहोश हो गए थे।
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क्या और कैसे हुआ था उस रात?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जांचकर्ताओं ने हादसे का कारण जेबरा रूम में बिजली की तारों में शॉर्ट सर्किट होना माना। उस रात क्लब में भारी भीड़ थी। 3000 से ज्यादा लोग जुटे थे। कैबरे रूम में हॉलीवुड गायक और अभिनेता जॉन डेविडसन का शो था। उन्हें सुनने के लिए इतने लोग आए कि उन्हें रैंप और गलियारों में बैठना पड़ा। उसी रात क्लब में एक रिसेप्शन भी था, लेकिन मेहमानों ने शिकायत की थी कि कमरा बहुत गर्म है और फर्श के नीचे से धमाकों की आवाजें आ रही हैं। क्योंकि बिजली की तारों की वायरिंग अंडरग्राउंड थी तो खराबी होने के कारण रिसेप्शन खत्म कर दिया गया था।
अचानक तारों से धुंआ उठने लगा और आग भड़क गई, इससे पहले की आग बुझ पाती, वह जेबरा रूम तक पहुंच गई थी। आनन फानन में लोगों का क्लब खाली करने को कहा गया, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि पूरे क्लब को अपनी चपेट में ले लिया। बिजली ठप हो गई, लोगों में अफरा तफरी मच गई। क्लब से निकलने के सिर्फ 3 एंट्री गेट थे। कुछ लोग रास्ता तलाशते हुए क्लब में खो गए और आग की चपेट में आकर मारे गए। आग इतनी विकराल थी कि फायर कर्मी अंदर नहीं आ पाए। आग बुझाने में घंटों लग गए। इसके बाद भी करीब 2 दिन क्लब में आग धधकती रही।
कुछ लोगों ने दूसरों को बचाते हुए जान गंवाई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 29 मई की सुबह तक 134 शव निकाले जा चुके थे। अगले 3 दिन में 28 लाशें और मिली। 2 को छोड़कर सभी मृतक कैबरे रूम में और उसके आस-पास पाए गए। घटनास्थल से बचाए जाने के बाद कुछ घायलों की मौत अस्पताल में हुई। आग में घायल हुई दिल्ली टाउनशिप की बारबरा थॉर्नहिल ने 9 महीने बाद 1 मार्च 1978 को दम तोड़ा था। ह्यूबर हाइट्स के हेरोल्ड रसेल पेनवेल अपनी पत्नी करेन को बाहर धकेलने में कामयाब रहे, लेकिन खुद जलकर मर गए।
वेटरन्स एडमिनिस्ट्रेशन सेंटर के मनोवैज्ञानिक पेनवेल 28 वर्ष के थे और 2 बच्चों के पिता थे। एक पूर्व VISTA स्वयंसेवक और वियतनाम में कांस्य स्टार के विजेता थे, जो आग में जलकर मारे गए। डेटन निवासी 55 वर्षीय चार्ल्स शेरवुड की भी अपनी पत्नी को बचाते हुए जान चली गई थी। मियामीसबर्ग की 70 वर्षीय एटा लीस की कथित तौर पर उस समय मृत्यु हो गई, जब वह मियामीसबर्ग की ही 62 वर्षीय विकलांग महिला बेट्टी विल्सन को बचाने का असफल प्रयास कर रही थीं।
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