Tibet Earthquake Inside Story : हिमालय की तलहटी में बसे तिब्बत में बीते दिन 7 जनवरी को भीषण भूकंप आया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई। इस भूकंप के बाद के 9 घंटे में लगभग 150 झटके दर्ज किए गए। वहीं आज 8 जनवरी की सुबह फिर 4.2 की तीव्रता वाला भूकंप तिब्बत में आया। कल आए भूकंप का सबसे ज्यादा असर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के पास बसे शिगात्से शहर में हुआ, जहां करीब 8 लाख लोग रहते हैं। भूकंप ने इस शहर में खूब तबाही मचाई।
करीब 1000 से ज्यादा घर ढह गए। 128 लोगों की मौत होने की खबर है। करीब 200 लोग घायल हुए हैं। भूकंप का केंद्र केंद्र माउंट एवरेस्ट से लगभग 80 किलोमीटर (50 मील) उत्तर में स्थित तिब्बत की टिंगरी काउंटी में 10 किलोमीट की गहराई में मिला। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, भूकंप मंगलवार सुबह 9:05 बजे (भारतीय समय के हिसाब से सुबह 6:30) आया। भूकंप के झटके तिब्बत के पड़ोसी देशों चीन, नेपाल, भूटान और भारत के कुछ जिलों के अलावा बांग्लादेश में भी महसूस किए गए।
A powerful earthquake with a magnitude of 6.8 struck the northern foothills of the Himalayas near one of Tibet’s holiest cities, according to Chinese authorities. It killed dozens of people and shook buildings in neighboring Nepal, Bhutan, and India https://t.co/1Tn5LJZCAv pic.twitter.com/kKy2rLUnT9
---विज्ञापन---— Reuters (@Reuters) January 7, 2025
भूकंप ने इस तरह प्रभावित किया तिब्बत को
वहीं भूकंप प्रभावित लोगों का बचाव करने के लिए चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित शहर में टास्क फोर्स भेजी है। लेवल-3 इमरजेंसी घोषित कर दी है, क्योंकि वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह डैमेज हुआ है। बिजली और पानी दोनों की सप्लाई पर असर पड़ा है। चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के डिंगरी काउंटी में माउंट एवरेस्ट के अपने हिस्से के टूरिस्ट पॉइंट को बंद कर दिया है। लोगों को अपने घरों को खाली करके पलायन करने को मजबूर होना पड़ा। बेघर हुए लोगों ने मंगलवार की रात माइनस 6 डिग्री तापमान में काटनी पड़ी। सड़कें मलबे, कुचली हुई कारों और ढही हुई इमारतों से भर गई हैं।
इमारतें, पेड़ और बिजली की लाइनें प्रभावित हुईं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोगों को अपनी जान बचाने के लिए नीचे की तरफ भागते देखा गया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शहर को दोबारा बसाने के लिए आपदा राहत कोष में 100 मिलियन युआन आवंटित कर दिए हैं। 22000 से अधिक राहत सामग्री भेजी है, जिनमें टेंट, कपड़े और बिस्तर शामिल हैं, जो ऊंचाई वाले ठंडे स्थानों के लिए तैयार किए हैं, क्योंकि तिब्बत एक पठारी देश है। दूसरी ओर, अब दुनियाभर में लोगों के जेहन में सवाल है कि भूकंप क्यों आया? 128 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
क्योंकि एक चर्चा यह भी है कि तिब्बत में आए भूकंप ने भारत के अरुणाचल प्रदेश के पास ब्रह्मपुत्र या यारलुंग त्संगपो नदी पर बन रहे चीन के सबसे बड़े बांध को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। आइए मामला जानते हैं…
#Watch | At least 95 killed, 130 injured in #TibetEarthquake
A magnitude 6.8 earthquake struck the foothills of the Himalayas near one of Tibet’s holiest cities on Tuesday, killing at least 95 people and collapsing hundreds of houses pic.twitter.com/wrshszPzr3
— DD News (@DDNewslive) January 7, 2025
भूकंप का जिम्मेदार हो सकता चीन का डैम
चीन मेनलिंग तिब्बत की यारलुंग जांगबो नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डैम बना रहा है। इस प्रोजेक्ट का भारत ने विरोध किया था, लेकिन चीन ने अपना पक्ष रखते हुए इस प्रोजेक्ट को सही बताया। चीन का कहना है कि भारत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले इस डैम से भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि यारलुंग त्सांगपो नदी (ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम) पर चीन द्वारा जो हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है, उसका प्रोडक्शन प्लान बेहद सख्त साइंटिफिक वेरिफिकेशन से गुजरा है। इससे नदी के किनारे बसे देशों के इको सिस्टम, एनवायरनमेंट, भूविज्ञान और जल संसाधनों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल कहते हैं कि नदी के पानी पर भारत का भी अधिकार है। इस डैम के बनने से धरती पर दबाव पड़ेगा। भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ब्रह्मपुत्र के किनारे सबसे निचले देशों को इस डैम से जुड़ी गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे।
People running towards X to check details about 7.1-magnitude #earthquake that hit #Tibet and #Nepal
— Neetu Khandelwal (@T_Investor_) January 7, 2025