Life On Mars : काई यानी मॉस को धरती के सबसे शानदार टेराफॉर्मर्स में से एक माना जाता है। समय के साथ यह बंजर चट्टानों को भी उपजाऊ मिट्टी में बदल देती है। वहीं, अब इस पौधे को लेकर बेहद रोचक जानकारी सामने आई है। आपको यह तो पता ही होगा कि अंतरिक्ष में जीवन की खोज को लेकर वैज्ञानिक समुदाय तेज रफ्तार से काम कर रहा है। इसके अलावा यह जानने की कोशिश भी की जा रही है कि क्या इंसानों को किसी और ग्रह पर बसाया जा सकता है? ऐसे ग्रहों में सबसे ऊपर नाम मार्स यानी मंगल ग्रह का आता है। अब आप सोच रहे होंगे कि मंगल और काई में क्या कनेक्शन है? आपको बता दें कि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नॉन वैस्क्युलर पौधा मंगल ग्रह पर भी सर्वाइव कर सकता है।
SPACE MOSS 📷📷
Chinese scientists have identified desert moss as a potential pioneer plant for colonization on Mars.#landofdiversity2 pic.twitter.com/QOofBY1oA8---विज्ञापन---— Yang Zhao TIO (@YangZha42341102) July 15, 2024
कभी धरती भी नहीं थी जीवन के लायक
एक समय में धरती की सतह भी ऐसी थी जिसे जीवन के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता था। लेकिन ब्रायोफाइट्स नाम के ऑर्गेनिज्म्स के एक समूह को यह तथ्य रोक नहीं सका। इस समूह में अब मॉस, लिवरवॉर्ट्स और हॉर्नवॉर्ट्स जैसे पौधे भी आते हैं। इनकी इस एबिलिटी को देखते हुए वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मंगल पर भी सर्वाइव कर सकते हैं। मंगल पर इंसानों को बसाने के प्लान में ये मॉस काफी अहम रोल अदा कर सकते हैं। ये वहां की जमीन को उपजाऊ बना सकते हैं और उसे ऐसा बना सकते हैं जिससे उस पर खेती की जा सके। मॉस के जिस प्रकार से यह उम्मीद है उसे सिंत्रिशिया केनिनर्विस (Syntrichia caninervi) कहते हैं। यह चीन, अमेरिका, पामीर के पठार, तिब्बत, मिडिल ईस्ट, अंटार्कटिका आदि जगहों पर पाई जाती है।
Chinese scientists have proposed that desert #moss Syntrichia caninervis, which can survive up to 5 years at -80°C, and regenerate after dehydration and gamma irradiation, is a promising pioneer plant for #Mars exploration, opening potential for building biologically sustainable… pic.twitter.com/4ri51ygTAr
— People’s Daily, China (@PDChina) July 5, 2024
मंगल जैसी परिस्थितियों में रखी गई मॉस
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों ने इस मॉस की जांच की और पाया कि सर्वाइवल को लेकर इसके गुणों को काफी बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। लैब में वैज्ञानिकों ने पानी की कमी से लेकर बर्फीली परिस्थितियों में इस मॉस को जांचा और परिणाम हैरान करने वाले रहे। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने इस मॉस को वैसी परिस्थितियों में भी रखा गया जैसी मंगल ग्रह पर है। ऐसी परिस्थितियों में भी इसको सर्वाइव करते हुए देखा गया। अब वैज्ञानिकों का टारगेट इस मॉस को मंगल पर पहुंचाना है। अगर ये एक्सपेरिमेंट सही साबित होता है तो किसी और ग्रह पर इंसान को बसाने की राह में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर बन जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मॉस मंगल पर जीवन को जन्म दे सकती हैं।
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