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कश्मीर से लेकर इजराइल तक… आतंकी संगठन करते हैं अमेरिकी हथियारों का यूज; पढ़ें ये रिपोर्ट

Terrorists Use American Weapons From Kashmir To Israel: अमेरिकी सेनाओं के अलावा, एम-सीरीज़ बंदूकें दुनिया के 80 देशों की सेनाओं द्वारा उपयोग की जाती हैं।

Edited By : Om Pratap | Updated: Oct 10, 2023 14:54
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Terrorists Use American Weapons From Kashmir To Israel

Terrorists Use American Weapons From Kashmir To Israel: कश्मीर से लेकर इजराइल तक… आतंकी अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। हमास के आतंकवादियों की ओर से इज़राइल में घुसपैठ करने, उसके नागरिकों की हत्या करने और सैकड़ों लोगों को बंधक बनाने के बाद कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिसमें दोनों पक्ष के लोगों में डर का माहौल दिख रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कुछ जश्न वाले वीडियो भी सामने आए, जिसमें अमेरिकी हथियारों की चमक दिखी। वीडियो में दिखने वाले हथियार को अमेरिका में निर्मित एम14 असॉल्ट राइफल बताया गया।

एक प्रमुख अमेरिकी राजनेता ने सवाल किया है कि क्या फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास की ओर से अमेरिका निर्मित बंदूकों का इस्तेमाल किया गया था? क्या इसका पता लगाने के लिए जांच की मांग की गई थी कि आतंकियों के हथियारों का स्रोत अफगानिस्तान या यूक्रेन था?

भारत भी कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अमेरिका निर्मित हथियारों और गोला-बारूद के इस्तेमाल की रिपोर्ट करता रहा है। यहां विरोधाभासी बात ये है कि भारत और इज़राइल दोनों संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोगी हैं। लेकिन अमेरिका में निर्मित हथियार जैश-ए-मुहम्मद, पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और फिलिस्तीनी क्षेत्र में हमास जैसे आतंकवादी संगठनों के हाथों में कैसे पहुंच रहे हैं? ये बड़ा सवाल है।

अमेरिका ने अफगानिस्तान में भारी मात्रा में छोड़े हथियार

कहा जाता है कि युद्ध एक बड़ा व्यवसाय है, लेकिन ये एक खूनी कारोबार है, जिसमें दुनिया भर में हजारों मौतें होती हैं। हथियारों और रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक, संयुक्त राज्य अमेरिका, इस बड़े कारोबार के केंद्र में है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013-17 और 2018-22 के बीच अमेरिका की ओर से हथियारों के निर्यात में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 2018-22 की अवधि में वैश्विक हथियारों के निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी। वर्तमान में अमेरिका, रूस के साथ देश के युद्ध के दौरान यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है।

9/11 के हमले के बाद तालिबान के खिलाफ अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध में अरबों डॉलर के हथियार और रक्षा उपकरण झोंके। फरवरी 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसकी समय सीमा मई 2021 थी। ट्रम्प के बाद उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी सैनिकों की वापसी के लिए प्रतिबद्धता जताई, लेकिन समय सीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी।

अमेरिकी सैनिकों ने तालिबान में छोड़े 7 अरब डॉलर से अधिक के हथियार

जब तक अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ते, तब तक तालिबानियों ने अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को छोड़ने की जल्दी में, अमेरिकी सैनिक 7 अरब डॉलर से अधिक के हथियार और रक्षा उपकरण यहीं छोड़ गए, जो बाद में तालिबान के हाथों में चले गए।

अमेरिकी रक्षा विभाग ने अगस्त 2022 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 7.12 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी उपकरण को तालिबान ने जब्त कर लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य विमान, जमीनी वाहन, हथियार और अन्य सैन्य उपकरण इनमें शामिल थे। रक्षा उपकरणों में ब्लैक हॉक्स और अन्य हेलीकॉप्टर, यूएस ह्यूमवीज़ और स्कैनईगल सैन्य ड्रोन शामिल थे। इनके अलावा एम16 असॉल्ट राइफल और एम4 कार्बाइन जैसे अत्याधुनिक हथियार भी थे, जिनका यूज अब भारत विरोधी और इजरायल विरोधी ताकतें कर रहीं हैं।

कश्मीर में अमेरिकी हथियार

पिछले साल रायसीना डायलॉग के दौरान, तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि कश्मीर में अफगानिस्तान से जब्त किए जाने वाले हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। कश्मीर घाटी में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो सैनिकों की ओर से छोड़ी गई स्टील-कोर गोलियों और नाइट-विज़न ग्लासों का उपयोग करते हुए पाया गया। भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में आतंकियों ने अमेरिकी गोलियों का इस्तेमाल किया, जो सैनिकों के बुलेटप्रूफ जैकेट पर भारी पड़े।

जनवरी में, एनबीसी न्यूज ने भारतीय अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी थी कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी एम4, एम16 और अन्य अमेरिकी निर्मित हथियारों और गोला-बारूद से लैस थे। अधिकारियों ने एनबीसी न्यूज को बताया कि अफगानिस्तान से अमेरिका के जल्दबाजी में बाहर निकलने के बाद ये हथियार तालिबान के हाथों में पड़ गए। 2020 में सबसे पहले अमेरिकी निर्मित छोड़े गए एम-सीरीज़ की कार्बाइन राइफलें कश्मीर में सामने आने लगीं। एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में बरामद किए गए ज्यादातर हथियार जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के हैं।

क्या हमास ने इसराइल हमले में अमेरिकी बंदूकों का इस्तेमाल किया?

क्या ये वैसा ही है जैसा इज़राइल में हुआ, जब हमास के आतंकवादियों ने इजराइली लोगों और सैनिकों पर हमला किया। ऐसा संभव लगता है और कई विशेषज्ञ विस्तृत जांच की मांग कर रहे हैं। अमेरिकी कांग्रेस सदस्य मार्जोरी टेलर ग्रीन ने एक्स पर एक पोस्ट में सुझाव दिया कि हमास ने इजरायल पर हमले के लिए अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल किया होगा। प्रतिनिधि सभा के रिपब्लिकन सदस्य ने हमास की ओर से इस्तेमाल किए गए हथियारों के सोर्स की गहन जांच की मांग की।

ब्रिटिश राजनेता जिम फर्ग्यूसन ने भी अमेरिकी बंदूकों के साथ तालिबान आतंकवादियों की एक तस्वीर ट्वीट की और इसे इज़राइल पर हमास के हमले से जोड़ा। फर्ग्यूसन ने पोस्ट किया कि एक उच्च पदस्थ इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ) कमांडर ने कहा कि बाइडेन सरकार की ओर से अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियार गाजा पट्टी में सक्रिय फिलिस्तीनी समूहों के हाथों में पाए गए।

5 अक्टूबर यानी हमास के हमले से ठीक दो दिन पहले इजरायली रक्षा बलों ने एक एम-16 राइफल की तस्वीर ट्वीट की, जो उन्होंने इजरायली सुरक्षा बलों के वाहन पर हमला करने वाले दो आतंकवादियों से बरामद की थी। एम-16 अमेरिका में निर्मित एक अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल है, जिसकी आपूर्ति अफगानिस्तान को की जाती थी।

इजरायली कमांडर ने कहा कि अफगानिस्तान में जब्त किए गए अमेरिका निर्मित कुछ छोटे हथियारों को पहले ही गाजा पट्टी में सक्रिय फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों के साथ देखा गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई वीडियो में गाजा पट्टी में लोगों को बंदूकों के साथ इज़राइल पर हमले का जश्न मनाते हुए दिखाया गया है, जिनकी पहचान विशेषज्ञों ने अमेरिकी हथियारों के रूप में की है, जिनमें एम 16 और एम 4 राइफलें शामिल हैं। अमेरिकी सेनाओं के अलावा, एम-सीरीज़ बंदूकें दुनिया के 80 देशों की सेनाओं द्वारा उपयोग की जाती हैं।

First published on: Oct 10, 2023 02:53 PM
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