पूर्व न्यायधीश सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बन चुकी हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री पड़ की शपथ दिलाई है. रात करीब साढ़े 9 बजे नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पोडेल ने सुशील कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में सुशीला कार्की के अलावा किसी और ने शपथ नहीं ली है. हालांकि इस मंत्रिमंडल में जेन जी आंदोलन से जुड़े किसी चेहरे को शामिल नहीं किया गया है.
सुशीला कार्की ने प्रधानमंत्री बनने के बाद एक और इतिहास रच दिया है. वह पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी थीं और अब वह नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं.
कौन हैं सुशीला कार्की ?
किसान परिवार में जन्मी सुशीला कार्की नेपाल की न्यायपालिका के इतिहास में एक विशिष्ट नाम रही हैं। माता-पिता की सात संतान में सबसे बड़ी कार्की का जन्म 7 जून 1952 को मोरंग के शंखरपुर में हुआ। विराटनगर में रहते हुए वह बी.पी. कोइराला के परिवार और प्रजातांत्रिक आंदोलन से भी जुड़ीं।
न्याय परिषद् के अभिलेखों के अनुसार, उन्होंने 1971-72 (2028) में विराटनगर के महेंद्र मोरंग कॉलेज से स्नातक (बीए) की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद 1974-75 (2031) में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के दौरान ही उनकी मुलाकात कांग्रेस नेता दुर्गा सुवेदी से हुई और बाद में उन्होंने उन्हीं से विवाह किया। सुवेदी नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं और 1973-74 (2030) में पार्टी द्वारा आयोजित चर्चित विमान अपहरण की घटना में भी शामिल रहे थे।
त्रिभुवन विश्वविद्यालय से पढ़ाई की पूरी
कार्की ने 1977-78 (2034) में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की और 1979-80 (2036) से विराटनगर में अधिवक्ता के रूप में पेशेवर जीवन की शुरुआत की। 1985-86 (2042) से चार वर्षों तक उन्होंने धरान स्थित महेंद्र बहुमुखी क्याम्पस में अध्यापन भी किया। विराटनगर बार एसोसिएशन में सक्रिय रहकर उन्होंने कई जिम्मेदार पद संभाले और जनवरी 2005 (पुस 2061) में वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं।
यह भी पढ़ें : क्या है नेपाल के संविधान की धारा 61, जिसके तहत PM बनीं सुशीला कार्की, राष्ट्रपति पौडेल ने किया ऐलान
उनकी ईमानदार, निडर और हक्की छवि के कारण तत्कालीन प्रधानन्यायाधीश रामप्रसाद श्रेष्ठ ने उन्हें सर्वोच्च अदालत में नियुक्त करने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया। 22 जनवरी 2009 (9 माघ 2065) को वह अस्थायी न्यायाधीश बनीं और दो वर्ष बाद स्थायी। सात वर्ष सात महीने तक न्यायाधीश रहने के बाद 13 अप्रैल 2016 (1 वैशाख 2073) को वह कार्यवाहक प्रधानन्यायाधीश बनीं। तीन महीने बाद संसदीय सुनवाई पूरी होने पर वह नेपाल की पहली महिला प्रधानन्यायाधीश नियुक्त हुईं और मई/जून 2017 (जेठ 2074) तक करीब 15 महीने न्यायपालिका का नेतृत्व किया।