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मरने के बाद Sudiksha Thirumalesh को मिला ‘नाम’, लंदन कोर्ट से मां-बाप ने जीता बड़ा केस

Sudiksha Thirumalesh Who Bravely Fought NHS Doctors London Royal Court of Justice Reveal Name: लंदन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने भारतीय मूल की लड़की सुदीक्षा थिरुमलेश केस में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि एक साहसी लड़की को जो जीवन के अपने अंतिम क्षणों में नेशनल हेल्थ सिस्टम से संघर्ष कर रही थी, […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Sep 23, 2023 00:25
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Sudiksha Thirumalesh
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Sudiksha Thirumalesh Who Bravely Fought NHS Doctors London Royal Court of Justice Reveal Name: लंदन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने भारतीय मूल की लड़की सुदीक्षा थिरुमलेश केस में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि एक साहसी लड़की को जो जीवन के अपने अंतिम क्षणों में नेशनल हेल्थ सिस्टम से संघर्ष कर रही थी, उसका नाम दुनिया को जानना चाहिए। 19 साल की सुदीक्षा थिरुमलेश को माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी थी। जीवन के अंतिम क्षणों में डॉक्टरों ने उसका लाइफ सपोर्ट हटा दिया था। कानूनी लड़ाई के दौरान 12 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी।

सुदीक्षा थिरुमलेश वह अपने इलाज के लिए फंड जुटाना चाहती थी। उसके अनुसार इससे उसके दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से निजात में मदद मिल सकती थी। लेकिन उसका नाम मीडिया में इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई थी।

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मैं जीने की कोशिश में मरना चाहती हूं

न्यायाधीशों को वकीलों ने बताया पढ़ने में होशियार छात्रा एक फाइटर थी। उसने एक मनोचिकित्सक से कहा था कि यह मेरी इच्छा है। मैं जीने की कोशिश में मरना चाहती हूं। हमें सब कुछ आजमाना होगा। ट्रस्ट के वकीलों ने कहा कि थिरुमलेश, जिन्हें अदालती कार्यवाही के दौरान एसटी के रूप में जाना जाता था, वह मर रही थीं और गंभीर सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित थीं। थिरुमलेश को चल रहे उपचार के बजाय जीवन भर देखभाल की आवश्यकता थी।

Sudiksha Thirumalesh

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थेरेपी के लिए कनाडा जाना चाहती थी सुदीक्षा

वह न्यूक्लियोसाइड थेरेपी के लिए कनाडा जाना चाहती थी, लेकिन अगस्त में, एक न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि वह खुद निर्णय नहीं ले सकती, क्योंकि उसके पास मानसिक क्षमता नहीं थी। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि साक्ष्यों से ऐसा प्रतीत होता है कनाडा में उपचार तत्काल विकल्प नहीं है, क्योंकि धन की कमी के परिणामस्वरूप परीक्षण रोक दिया गया है।

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भाई ने कहा- हमारे मुंह को बंद किया गया

जैसे ही रिपोर्टिंग प्रतिबंध हटा दिए गए सुदीक्षा परिवार ने जमकर अपना गुस्सा जाहिर किया। थिरुमलेश के भाई वर्षन थिरुमलेश ने कहा कि हमारा मुंह बंद कर दिया गया था। विदेश में स्पेशल इलाज तक पहुंचने से रोका गया। एक साल के संघर्ष और दर्द के बाद आखिरकार हम अपनी खूबसूरत बेटी और बहन का नाम सार्वजनिक रूप से बिना किसी डर के कह सकते हैं। अब वह एसटी नहीं सुदीक्षा थिरुमलेश हैं।

न्यायमूर्ति पील ने फैसला सुनाया कि सुश्री थिरुमलेश और उनके परिवार की पहचान शुक्रवार को की जा सकती है, लेकिन अभी तक इस बारे में निर्णय नहीं लिया गया है कि क्या एनएचएस ट्रस्ट और उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों का नाम लिया जा सकता है।

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Edited By

Bhola Sharma

First published on: Sep 23, 2023 12:25 AM

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