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क्या सच में किसी को वश में किया जा सकता है; Hypnosis को लेकर क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

Scientist Thinking About Hypnosis: ब्रिटेन में एक बार फिर सम्मोहन (हिप्नोसिस) से मौत का मामला उठा है। क्या सच में किसी को सम्मोहित किया जा सकता है? वैज्ञानिकों का इसको लेकर क्या तर्क है? इन सब बातों को भी लोग जानना चाह रहे हैं। एक सांसद ने कहा है कि कुछ साल पहले उनकी बेटी के साथ जबरदस्त घटना हुई थी।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: May 18, 2024 20:17
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Depression
हिप्नोसिस क्या है।

Hypnosis: सम्मोहन को लेकर एक बार फिर चर्चा होने लगी है। लोगों में सवाल घर कर गया है कि क्या सच में किसी को वश में किया जा सकता है? ब्रिटेन में पूर्व ब्रिटिश संसद सदस्य कॉलिन पिकथॉल ने हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा है कि उनकी बेटी के साथ ऐसा हुआ। बेटी को एक क्लब में दिसंबर 1994 में वेस्टमिंस्टर पैलेस में सम्मोहित किया गया था। जिसके कारण बेटी अचेत हो गई। पति उसे गंभीर हालत में घर ले गया था। जिसकी 5 घंटे बाद मौत हो गई थी। पिकथॉल ने सांसदों के समक्ष दावा किया था कि स्टेज सम्मोहन उनके लिए हमेशा ही मुद्दा रहा है। क्या बेटी की मौत सम्मोहन से जुड़ा मामला थी? लेकिन सांसद इस प्रथा से जुड़े कानूनों में सुधार को लेकर आश्वस्त दिखे।

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उन्होंने कहा कि केवल गृह मंत्रालय से ही इसकी जांच करवाई जानी चाहिए। लेकिन अन्य लोगों को उनका बयान हास्यास्पद लगा। लिवरपूल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर ग्राहम वागस्टाफ ने मौत के मामले में कहा था कि ये सिर्फ एक अवधारणा की कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं है। वागस्टाफ ने कहा था कि दर्द से राहत के लिए सम्मोहन का चिकित्सकीय लाभ भी लिया जा सकता है। लेकिन सांसद ने कहा कि मौत के 3 दशक बाद भी ये फैसला नहीं हो पाया है कि सच्चाई क्या है? सम्मोहन को ट्रेंड डॉक्टर द्वारा किया जाता है, जो अपने मरीज की सही स्थिति के बारे में जानता है।

कई रिसर्च को गलत तरीके से पेश किया जाता है

प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिक स्टीवन जे लिन, डेविन टेरह्यून और मैडलिन स्टीन भी एक रिपोर्ट में दावा कर चुके हैं कि सम्मोहन को मनोविज्ञान और दूसरे विषयों में व्यापक तौर पर गलत तरीके से पेश किया जाता है। न्यूरोसाइकोलॉजिकल ​​सेटिंग्स में सम्मोहन और सेमी साइंटिफिक रिसर्च में कैसे काम करता है? इसको लेकर आज भी कई भ्रांतियां फैली हैं। 2022 में चिकित्सक क्लेयर जैक ने लिखा था कि सम्मोहन का इश्यू 100 से भी अधिक साल से है। कुछ लोगों का मत है कि लोग सम्मोहित व्यक्ति की भूमिका उसी तरह से निभाते हैं, जैसे नॉर्मल व्यक्ति अपने जीवन में जिम्मेदारियां उठाता है। बिना सबूत इस पर सिर्फ मौखिक सुझाव ही दिए जाते हैं। स्टैनफोर्ड प्रोफेसर डेविड स्पीगल ने 2016 में लिखा था कि निष्कर्ष उच्च हैं, लेकिन कम सम्मोहित करने वालों के बीच दो सम्मोहन स्थितियों में वे स्पष्ट थे।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: May 18, 2024 08:17 PM

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