दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
पाकिस्तान में आम चुनाव के कई दिन बाद गठबंधन की सरकार लगभग तय हो गई है। शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। बावजूद इसके देश में फिलहाल कुछ बदलने नहीं जा रहा है। हालात बदतर जरूर हो सकते हैं क्योंकि चुनाव के जो नतीजे आए हैं, वे एक नए बदलाव का संकेत दे रहे हैं। पकिस्तान में नया सूरज उगता हुआ साफ दिखाई दे रहा है। नतीजे पाकिस्तानी सेना के प्रभाव को कम करते दिखाई दे रहे हैं। जिस तरीके से 90 से ज्यादा जेल में बंद पीटीआई नेता इमरान खान के समर्थकों को जीत मिली है, वह पाकिस्तानी जनता में जागरूकता का प्रतीक है।
परिणाम यह भी बताते हैं कि बिना दल चुनाव लड़ने पर जब इमरान के समर्थकों ने इतनी ज्यादा सीटें जीत लीं। अगर वे जेल से बाहर होते और पार्टी के बैनर पर चुनाव लड़ते तो सेना के चाहने के बावजूद उनकी पार्टी स्पष्ट बहुमत से सरकार बना रही होती। सीटें जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों में बहुत बड़ी संख्या इमरान समर्थकों की है। उन्हें चुनाव में रोकने की अनेक कोशिशें हुईं। कभी सेना ने तो कभी पुलिस ने रोका। बाधा पहुंचाई गई फिर भी जनता, खास तौर पर युवा और महिला मतदाताओं ने जिस उत्साह से इमरान समर्थकों को वोट किया है वह यह बताने को पर्याप्त है कि पकिस्तान बदल रहा है। अब वहां वही नहीं होगा जो सेना चाहेगी।
क्या आर्थिक तंगी से मिलेगी राहत
नवाज की पार्टी औपचारिक तौर पर इस चुनाव में स्पष्ट बहुमत से बहुत दूर है। ऐसे में गठबंधन की सरकार ही बनने जा रही है। नई सरकार आर्थिक संकट से जूझ रहे पकिस्तान को क्या राहत दिला पाएगी और कितना, अभी यह देखा जाना बाकी है क्योंकि जेल में बंद इमरान खान के समर्थक चुप नहीं हैं। वे लगातार हमलावर हैं। प्रदर्शन कर रहे हैं। आम जनता अभी भी इमरान की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। पर, सेना की शह पर उन पर जो कानूनी शिकंजा कसा है, वह सामान्य हालत में बाहर नहीं आने वाले। सेना और सरकार, दोनों ऐसा नहीं चाहेंगे कि वे जेल से बाहर आएं। और इमरान के समर्थक सांसद चुप नहीं बैठने वाले। ऐसे में देश में अशांति बनी रहने की आशंका है। जब अशान्ति बनी रहेगी तो तरक्की की बात कैसे होगी? शायद इन्हीं बिंदुओं को देखते, समझते हुए नवाज शरीफ खुद पीएम पद की शपथ नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार हिचकोले खाते हुए ही चलने वाली है।
Biggest upset on planet earth. the Vulture Generals, vice like grip on power, crushed by one man with courage. Pakistan will never be the same again .The Majority won against the Military. pic.twitter.com/jIO0wefJ9S
— Salman Ahmad (@sufisal) February 22, 2024
कोई पीएम नहीं पूरा कर पाया कार्यकाल
यूं भी पाकिस्तानी इतिहास में किसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल पूर्ण करने का कोई इतिहास नहीं है। ऐसे में नवाज ने जोखिम मोल लेना उचित नहीं समझा। उम्र के इस पड़ाव पर वे जनता का मिजाज भी आसानी से समझ रहे हैं। उन्होंने सेना की मदद से पूरी ताकत से चुनाव लड़ा तब भी सौ का आँकड़ा नहीं छू पाए, यह सामान्य घटना नहीं है। नवाज से ज्यादा यह सेना के लिए चिंता का विषय है, जहां बमुश्किल 58 फीसदी साक्षरता दर वाले पकिस्तान की जनता ने उसकी मंशा के खिलाफ जाकर इमरान समर्थक निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट दिया है। ऐसे में सेना भी शांत नहीं बैठने वाली है। जनता सड़कों पर है, इमरान खान जेल में हैं, गठबंधन की सरकार बनने को है, ऐसे में सत्ता की कुंजी असल में सेना के पास ही रहने वाली है। ऐसे में इमरान समर्थकों को लंबे समय तक इसका हर्जाना देना होगा। आशंका इस बात की भी है कि सेना बड़े पैमाने पर कोई ऐसी कैम्पेन करे जिसमें इमरान समर्थक सांसदों, महत्वपूर्ण नेताओं को जेल भेजे। हालांकि, ऐसा हुआ तो भी देश में विद्रोह की स्थिति बन सकती है और अस्थिर देश की तरक्की के बारे में सोचा नहीं जा सकता।
بانی چیئرمین عمران خان کا اڈیالہ جیل سے اپنے اہلِ خانہ کے ذریعے بھجوایا گیا پیغام:
– پاکستان مسلم لیگ نواز کا ”ووٹ کو عزّت دو“ سے لیکر
”بوٹ کو عزّت دو“ تک کا سفر غالباً تمام یوٹرنز کا باپ ہے۔– 2024 کے عام انتخابات کی پیشانی پر (قبل از انتخابات، انتخابات کے روز اور بعد از… pic.twitter.com/72j1AXPiP0
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 20, 2024
मौजूदा पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर अहमद का कार्यकाल कम से कम 27 नवंबर 2025 तक चलने वाला है। ऐसे में वे पूरी कोशिश करेंगे कि इमरान खान जेल से बाहर न आने पाएं क्योंकि आसिम से सीधा पंगा लेने की वजह से ही इमरान खान को मुश्किलों का सामना करना पड़ा और वे जेल में हैं। चुनाव होने के अलावा कोई बदलाव देश में हुआ नहीं है। जो शहवाज शरीफ पीएम बनने जा रहे है, वे और उनकी पार्टी पूरे चुनाव में बिलावल भुट्टो की पार्टी के खिलाफ आग उगलते रहे हैं, अब दोनों गठबंधन में सरकार चलाने जा रहे हैं, ऐसे में उम्मीद यही है कि सेना का दबदबा बना रहेगा।
बिजनेस भी करती है आर्मी
बाहर की दुनिया में कम लोग जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना केवल देश की सुरक्षा के लिए काम नहीं करती, वह कई औद्योगिक गतिविधियों का संचालन करती है। देश में भले ही आगे लगी है, मंदी है, आर्थिक तबाही है, लोग भूख से मर रहे हैं, लेकिन सेना की संपत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। इसी वजह से सेना के कई अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अभिषेक प्रताप सिंह का आंकलन है कि देश की मौजूदा सूरत में एक साल तक तो गठबंधन सरकार चल सकती है। उसके बाद सेना तख्तापलट कर सकती है क्योंकि मौजूदा सेना प्रमुख किसी भी सूरत में इमरान खान को जेल से बाहर नहीं आने देना चाहते। ऐसे में अपना कार्यकाल समाप्ति के करीब आने पर देश में अशान्ति, अस्थिरता आदि के आरोप में सेना तख्तापलट कर देश को औपचारिक तौर पर अपने कब्जे में ले सकती है।
ये भी पढ़ें: UK की सबसे बड़ी चोरी! 7 चोरों ने लूटे 700 करोड़, पर छोड़ दिए 1600 करोड़