Nobel Prize Economics Winner Claudia Goldin: अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार 2023 हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्लाउडिया गोल्डिन को देने का ऐलान किया गया है। वहीं पुरस्कार मिलते पर क्लाउडिया ने खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है। नोबेल प्राइज जीतकर वह कितनी खुश हैं, शब्दों में बयां नहीं कर सकतीं। यह काफी अनमोल पुरस्कार है, जिसने जिंदगी का मकसद पूरा कर दिया। क्लाउडिया को लेबर मार्केट में रिसर्च करके महिलाओं के साथ हो रहे पक्षपात और उनकी कमाई को लेकर पूरी दुनिया को जानकारी देने के लिए नोबेल प्राइज मिला है। वे यह पुरस्कार जीतने वाली तीसरी महिला हैं।
<
BREAKING NEWS
The Royal Swedish Academy of Sciences has decided to award the 2023 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel to Claudia Goldin “for having advanced our understanding of women’s labour market outcomes.”#NobelPrize pic.twitter.com/FRAayC3Jwb— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2023
---विज्ञापन---
>
अमर्त्य सेन को मिला था अर्थशास्त्र का नोबेल
बता दें कि अमर्त्य सेन इकलौते भारतीय हैं, जिन्हें 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला था। उन्हें इकोनॉमिक साइंस में वेल्फेयर इकोनॉमिक्स और सोशल चॉइस थ्योरी में योगदान देने के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया था। 2022 में बैंकिंग सेक्टर के विशेषज्ञों इकोनॉमिस्ट बेन बेर्नाके, डगलस डायमंड और फिलिप डिविग को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला था। तीनों ने आर्थिक मंदी के दौर में बैंकिंग सेक्टर में रिसर्च किए। इस सेक्टर को बेहतर बनाने के सुझाव देते हुए मानवता को बचाने के लिए बेहतर तरीके बताए थे। वहीं गोल्डिन ने 200 साल के आंकड़ों को स्टडी कर अपनी रिपोर्ट बनाई और दुनिया को बताया कि लिंग भेद का रोजगार और कमाई पर क्या असर पड़ता है?
यह भी पढ़ें: साइंटिस्ट्स ने कंकाल से बनाया हजारों साल पुराने आदमी का चेहरा; दुनिया में सिर्फ 0.1% होते हैं ऐसे लोग
क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च का रिजल्ट
गोल्डिन के रिसर्च की बात करें तो उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर मार्केट में महिलाओं के योगदान में सीधे ही इजाफा नहीं हुआ है। बल्कि यह घटता और बढ़ता रहा है। वहीं वक्त बदलने के साथ जैसे-जैसे सोसाइटी फार्मिक से इंडस्ट्री की ओर बढ़ी तो मार्केट में शादीशुदा महिलाओं की संख्या कम हुई। गोल्डिन की स्टडी में यह भी बताया गया है कि 20वीं सदी में महिलाओं ने पुरुषों से बेहतर एजुकेशन ली। दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण हुआ। इसके बावजूद महिलाओं की कमाई पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है। वहीं महिलाएं किस वर्किंग एरिया में कार्यरत हैं, इसका प्रभाव भी उनकी कमाई पर पड़ता है, क्योंकि हर क्षेत्र में सैलरी का स्ट्रक्चर अलग होता है।
<
“I have always thought of myself as a detective! The detective always believes there is a way of finding the answer and that is the way I have always done research.”
We spoke to Claudia Goldin after she received the news about her 2023 prize in economic sciences.
Listen here: pic.twitter.com/bzbhIXKMev
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2023
>
क्लाउडिया एक डिटेक्टिव बनना चाहती थीं
नोबेल प्राइज मिलने की घोषणा होने के बाद पहले इंटरव्यू में क्लाउडिया ने अपने बारे में बताया कि वे डिटेक्टिव बनना चाहती थीं। उन्होंने हमेशा खुद को एक जासूस के रूप में देखा और इमेजिन किया वे कारणों, तथ्यों और परिणामों को खोजने में ज्यादा अच्छी हैं। 20 साल पहले ‘इकोनॉमिक्स डेटिक्टिव’ पर एक लेख भी लिखा था। जब वे छोटी थी, तब भी वे जासूसी वाले नॉवेल पढ़ती थीं। टेलीविजन पर भी जासूसी वाली कहानियां देखती थीं। जासूसी के काम में उनकी काफी रुचि थी। जासूसी के क्षेत्र में ऐसा होता है कि आप खुद से सवाल पूछते रहते हैं और उन सवालों के जवाब तलाशते रहते हैं। आज भी मेरे अंदर का जासूस जिंदा है, शायद इसी जासूसी ने उन्हें नोबेल विनर बना दिया।
यह भी पढ़ें: हिंदू देवी-देवताओं का किया था अपमान, शिकायत के बाद डरकर भारत से भागी ये पाकिस्तानी महिला पत्रकार
क्लाउडिया गोल्डिन का वर्किंग एरिया
क्लाउडिया अभी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर हैं। NBER के जेंडर इन द इकोनॉमी ग्रुप की को-डायरेक्टर हैं। वे 1989-2017 के दौरान NBER के अमेरिकन इकोनॉमिक प्रोग्राम की डेवलपमेंट डायरेक्टर भी रहीं। क्लाउडिया गोल्डिन ने हाल ही में ‘करियर एंड फैमिली: वूमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी’ थीम पर एक किताब लिखी थी।