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निमिषा प्रिया की फांसी की सजा बरकरार, सिर्फ टाला गया है दिन

यमन में निमिषा प्रिया की मौत की सजा अभी बरकरार ही है। उनकी सजा के दिन को सिर्फ टाला गया है। इससे उन्हें मृतक के परिवार से बातचीत के लिए और समय मिलेगा। अगर इस दौरान उन्हें मृतक का परिवार माफ करता है तो ही उनकी फांसी की सजा रद्द होगी, अन्यथा सजा ऐसे ही बरकरार रहेगी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 15, 2025 22:29
Nimisha Priya | Yemen Jail | Murder Case

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की 16 जुलाई 2025 को होने वाली फांसी को वहां स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल टाल दिया है। हालांकि, उनकी मौत की सजा अब भी बरकरार है। भारतीय विदेश मंत्रालय और यमन के जेल प्रशासन के बीच लगातार संपर्क के बाद यह फैसला लिया गया है, जिससे निमिषा के परिवार और समर्थकों को राहत की सांस मिली है।

क्या है मामला?

निमिषा प्रिया मूल रूप से भारत के केरल राज्य से हैं। वे साल 2008 में नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन गई थीं। उन्हें 2017 में उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर, यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा की अधिक मात्रा देकर उनकी हत्या की और फिर उनके शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया था। निमिषा ने इन आरोपों से इनकार किया है और उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि निमिषा ने केवल अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोशी की दवा दी थी, लेकिन अनजाने में दवा की मात्रा अधिक हो गई।

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2020 में यमन की एक स्थानीय अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद, 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने उनकी राहत की अपील को खारिज कर दिया। जनवरी 2024 में यमन की हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल ने इस सजा को मंजूरी दी। यमन की शरिया कानूनी व्यवस्था के तहत अब निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता यह है कि महदी का परिवार उन्हें माफी दे दे।

माफी के लिए किए जा रहे प्रयास

निमिषा को बचाने के लिए उनके परिवार और समर्थकों ने कई प्रयास किए हैं। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक समूह जनता से फंड जुटाकर महदी के परिवार को 10 लाख डॉलर की ‘दियाह’ (ब्लड मनी) की पेशकश कर रहा है। यह राशि तभी स्वीकार की जाएगी, जब महदी का परिवार निमिषा को माफ करने के लिए सहमत हो।

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यमन में निमिषा के मामले में पावर ऑफ अटॉर्नी सैमुअल जेरोम ने कहा कि ‘हम लगातार महदी के परिवार से बातचीत कर रहे हैं। अभी तक उन्होंने माफी देने का फैसला नहीं किया है। हमारा प्रयास है कि फांसी की तारीख को टालकर हमें और समय मिले, ताकि बातचीत आगे बढ़ सके।’

इसके अलावा, केरल के एक प्रभावशाली मुस्लिम धर्मगुरु ने भी यमन के कुछ शेखों से इस मामले में बात की है। सूत्रों के मुताबिक, मृतक के रिश्तेदारों और प्रभावशाली लोगों के साथ एक बैठक बुलाई गई है, जिसमें माफी की संभावनाओं पर चर्चा होगी।

भारत सरकार की भी है अहम भूमिका

निमिषा के परिवार ने भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में एक बयान जारी कर कहा था कि वह इस मामले में हर संभव मदद कर रहा है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार निमिषा के परिवार के संपर्क में है और सभी उपलब्ध विकल्पों पर विचार कर रही है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारतीय अधिकारी यमन के जेल प्रशासन और अभियोजन कार्यालय के साथ लगातार संपर्क में हैं। इन प्रयासों के चलते ही फांसी की तारीख को टाला गया है।

क्या है आगे की राह?

हालांकि फांसी की तारीख टलने से निमिषा के परिवार और समर्थकों को कुछ राहत मिली है, लेकिन उनकी मौत की सजा अब भी बरकरार है। सैमुअल जेरोम ने बताया कि यमन सरकार से आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। निमिषा की मां 2024 से यमन में अपनी बेटी को बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं और समर्थक समूह इस मामले में सक्रिय हैं।

महदी के परिवार से माफी मिलना इस समय निमिषा को बचाने का सबसे बड़ा रास्ता है। यदि परिवार ब्लड मनी स्वीकार कर माफी दे देता है, तो निमिषा की सजा रद्द हो सकती है। इस दिशा में बातचीत जारी है और समर्थकों को उम्मीद है कि जल्द ही कोई सकारात्मक परिणाम निकलेगा।

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First published on: Jul 15, 2025 10:25 PM

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