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नेपाल में फैली अस्थिरता का भारत पर क्या असर? अर्थव्यवस्था से लेकर सुरक्षा भी संकट में

Nepal Protest Impact: नेपाल में चल रहे जेन-जी प्रदर्शनकारियों ने पूरे देश में अराजकता और अस्थिरता को बढ़ावा दे दिया है। इसका असर भारत पर भी पड़ेगा क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे के सबसे करीबी माने जाते हैं। नेपाल अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी भारत पर निर्भर रहता है। ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि क्या भारत की अर्थव्यवस्था को इससे कोई नुकसान होगा, आइए विस्तार से जानते हैं।

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Sep 10, 2025 17:10

Nepal Crisis Impact on India: भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल में इन दिनों तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। यहां की सरकार ने 4 सितंबर को सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगाया था। इसके बाद 8 सितंबर को देश के युवाओं द्वारा जेन-जी प्रदर्शन शुरु हुआ था। इस विरोध की आंच इतनी तेज हो गई है कि भारत हो या अमेरिका, पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। जेन-जी ने नेपाल की मौजूदा सरकार को गिरा दिया है। पीएम केपी शर्मा ओली, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडाल ने भी इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल, नेपाल की सेना ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया है।

भारत-नेपाल का व्यापार मजबूत

भारत और नेपाल के बीच व्यापार के लिहाज से रिश्ते बहुत गहरे हैं। नेपाल भारत से तेल, बिजली, दवा और कई सेवाएं लेता है। नेपाल में मौजूद कई बड़े प्रोजेक्ट्स भी भारत के ही है। इससे वहां रोजगार भी बढ़ता है। कहा जाता है कि नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार नेपाल ही है। ऐसे में हिंसा बड़े पैमाने पर आयात-निर्यात के काम को ठप कर सकती है।

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इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर प्रोजेक्ट्स में रुकावट

नेपाल में हिंसक झड़प होने से ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी असर पड़ता है। नेपाल में कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं और ट्रांसमिशन लाइनिंग का काम हो रहा है, जो इस घटना के बाद रुक जाएगा। अगर कोई प्रोजेक्ट्स शुरु होने वाले थे तो राजनीतिक अस्थिरता के कारण वो भी रुक सकते हैं या उनमे देरी हो सकती है।

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पर्यटन उद्योग पर असर

हालांकि, पर्यटन से नेपाल की अर्थव्यवस्था पर असर ज्यादा पड़ेगा मगर भारत पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। लोग यहां से होटलों की बुकिंग करते हैं और टिकट बुकिंग करते हैं। ऐसे में ट्रैवल कंपनियों और एयरलाइन इंडस्ट्री को भी घाटा होगा।

नेपाल का तनाव भारत के लिए असुरक्षा का कारण

बता दें कि भारत-नेपाल सीमा लगभग 1,750 किलोमीटर लंबी है और ये ज्यादातर खुली सीमा है। हिंसा और अस्थिरता के समय हथियार तस्करी, स्मगलिंग और अवैध गतिविधियां बढ़ जाती हैं। इससे भारत को सीमा पर चौकसी बढ़ानी होगी और ज्यादा जवानों की तैनात करनी पड़ सकती है। इससे सुरक्षा का खर्च भी बढ़ता है।

भारत की अर्थव्यवस्था संकट मे कैसे?

भारत के पड़ोसी देश जैसे नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका भारत के बड़े व्यापारिक पार्टनर हैं। अस्थिरता बढ़ने से व्यापार धीमा हो जाता है। भारत के लिए चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि इस समय भारत अमेरिका के 50% टैरिफ की मार भी झेल रहा है। इससे पहले ही व्यापारियों को भारी नुकसान झेलने पड़ रहे हैं। अब नेपाल में ऐसी स्थितियों के पैदा होने से वहां भी निर्यातकों को नुकसान, माल की डिलीवरी में देरी और रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।

पहले भी झेल चुका है भारत

भारत के लिए यह पहली बार नहीं है कि उसका कोई पड़ोसी मुल्क हिंसा और अस्थिरता का शिकार हुआ हो। पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान में भी ऐसे हालात बन चुके हैं। बांग्लादेश में विरोध और सत्ता परिवर्तन के समय वहां की पूर्व पीएम शेख हसीना को भारत में आश्रय भी दिया गया था। बांग्लादेश से भारत में गारमेंट्स और टेक्सटाइल सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी। वहीं, श्रीलंका में अस्थिरता बनने के बाद तेल, इंफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग सुविधाएं संकट में आ गई थई। इससे कई कंपनियों को नुकसान हुआ था। अफगानिस्तान में अराजकता के चलते भारत में सुरक्षा का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ गया है।

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First published on: Sep 10, 2025 11:20 AM

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