British Women In Saree: ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर मिनी इंडिया नजर आया। यहां 700 महिलाएं साड़ी पहनकर एक साथ निकल पड़ीं। सभी ने साड़ी वॉकथॉन में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम ब्रिटिश वूमेन इन साड़ी नाम के एक संगठन की तरफ से आयोजित किया गया। इसमें गुजरात, केरल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली समेत कई राज्यों की महिलाओं ने हिस्सा लिया। सभी ने अपने-अपने राज्य की पारंपरिक साड़ियां पहन रखी थीं। यह कार्यक्रम नेशनल हैंडलूम डे यानी राष्ट्रीय हथकरघा दिवस से एक दिन पहले आयोजित किया गया।
महिलाएं सज-धजकर पहुंची थीं। महिलाओं ने ट्राफलगर स्क्वायर से पार्लियामेंट स्क्वायर में महात्मा गांधी की प्रतिमा तक मार्च किया। साड़ी पहने महिलाओं ने डाउनिंग स्ट्रीट के पास व्हाइटहॉल में रास्ते में आरआरआर मूवी के चर्चित गाने नाटू-नाटू पर डांस किया।
देखिए VIDEO…
Naatu Naatu opposite 10 Downing Street today https://t.co/neqM08DJuu pic.twitter.com/WMIUfvSqqD
— Naomi Canton (@naomi2009) August 7, 2023
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महिलाओं ने किया गरबा और डांडिया डांस
महिलाओं ने गरबा और डांडिया से लेकर बॉलीवुड बीट्स पर डांस किए। शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत 2017 की हिट फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ का मशहूर गाना ‘कश्मीर मैं, तू कन्याकुमारी’ गाना भारतीय मूल के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के डाउनिंग स्ट्रीट आवास के बाहर गूंज रहा था। निर्देशक एसएस राजामौली की फिल्म आरआरआर के साल के मेगा-ब्लॉकबस्टर गाने ‘नाटू नाटू’ पर महिलाएं अपने डांस मूव्स दिखाने से नहीं हिचकिचाईं।
कोई जरी वाली साड़ी तो किसी ने पहना नथ वाली साड़ी
साड़ी वॉकथॉन में महिलाओं ने अपनी पारंपरिक पोशाक का प्रदर्शन किया । जैसे केरल की क्रीम सेतु मुंडू (जरी बॉर्डर वाली सफेद साड़ी), उत्तराखंड की विशिष्ट नथ (नाक की अंगूठी), महाराष्ट्र की नौवारी (नौ गज) साड़ी, हिमाचल प्रदेश की कुल्लू प्रिंट पश्मीना और हिमाचली ब्लिंगी टोपी ( टोपी), और बिहार की टसर सिल्क हाथ से पेंट की गई मधुबानी डिजाइन वाली साड़ी पहनकर महिलाएं पहुंची थीं। महिलाओं ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ जैसे देशभक्तिपूर्ण नारे भी लगाए और राष्ट्रगान के साथ अपना वॉकथॉन समाप्त किया।
क्यों मनाया जाता है ये जश्न
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन स्वतंत्रता दिवस से ठीक एक सप्ताह पहले मनाया जाता है, जब महात्मा गांधी ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए 1905 में स्वदेशी आंदोलन शुरू किया था।
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