कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के तौर पर लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी ने शुक्रवार (14 मार्च) को शपथ ली। अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर के बीच मार्क कार्नी अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। 59 वर्षीय मार्क कार्नी ने इसी साल जनवरी में इस्तीफा देने वाले जस्टिन ट्रूडो की जगह कार्यभार संभाला है। जस्टिन ट्रूडो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री थे और इस साल जनवरी में अपने इस्तीफे की घोषणा की थी और लिबरल पार्टी की ओर से नया नेता चुने जाने तक वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने हुए थे।
कार्नी के सामने होगी ये बड़ी चुनौती
बता दें कि कार्नी पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं। कार्नी 2008 से बैंक ऑफ कनाडा के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं। उस समय उन्होंने ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस में देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा था। इसके बाद 2013 में वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने और वहां भी ब्रेक्जिट के समय के आर्थिक प्रभावों को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी अब उनके सामने अमेरिका और भारत के साथ संबंध सुधारने और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने की चुनौती होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडाई स्टील और एल्युमीनियम पर 25% टैरिफ लगाया है, जिससे कनाडा-अमेरिका व्यापार संबंधों में खटास आ गई है। साथ ही 2 अप्रैल से ट्रंप ने सभी कनाडाई उत्पादों पर और अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। अगर कार्नी कूटनीति और आर्थिक नीतियों का सही उपयोग करते हैं तो वे कनाडा को इस संकट से निकाल सकते हैं।
कनाडा ने अमेरिकी उत्पादों का किया बहिष्कार
ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि ‘कनाडा और अमेरिका के बीच की सीमा सिर्फ एक फिक्शनल लाइन है।’ उन्होंने कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने का भी सुझाव दिया, जिससे कनाडाई जनता नाराज है। ट्रंप की नीतियों से नाराज कनाडाई लोग अमेरिकी सामान खरीदने से बच रहे हैं। स्थानीय व्यापारी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।
कार्नी कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या हो सकती है कम
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्क कार्नी का नया मंत्रिमंडल ट्रूडो के कैबिनेट के आकार का लगभग आधा हो सकता है। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया था कि उनके मंत्रिमंडल में 15 से 20 मंत्री होने की उम्मीद है, जबकि वर्तमान में प्रधानमंत्री सहित 37 मंत्री हैं। वहीं, कार्नी को लिबरल पार्टी द्वारा भारी बहुमत से प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है, जबकि वे हाउस ऑफ कॉमन्स या सीनेट के सदस्य नहीं हैं। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि पूर्व बैंकर को आने वाले दिनों या सप्ताहों में आम चुनाव का सामना करना पड़ सकता है।
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