अमेरिकी टैरिफ, यूक्रेन-रूस युद्ध जैसी हलचलों के बीच अब वैश्विक स्तर पर नया भूचाल खड़ा होने वाला है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के खिलाफ अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया एक साथ आने वाले हैं। तीनों देशों की सेनाएं 15 सितंबर से संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगे। अभ्यास में उन्नत लड़ाकू विमान और मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे हथियार शामिल होंगे। इसे उत्तर कोरिया से ज्यादा रूस के खिलाफ माना जा रहा है। हाल ही में रूस के विदेश मंत्री ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग और विदेश मंत्री से मुलाकात की थी।
क्यों होगा युद्धाभ्यास?
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया 15 सितंबर से संयुक्त युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है कि उत्तर कोरिया के मुख्य शासक किम जोंग उन लगातार कोरियाई प्रायद्वीप में बार-बार मिसाइल परीक्षण कर रह हैं। इसके अलावा जोंग की संभावित आक्रामकता जताई जा रही है। इससे निपटने के लिए तीनों देशों की सेनाएं मुकाबला करने की तैयारी करने में जुट गई हैं।
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हाल ही में अमेरिका ने किया था अभ्यास
गत 18 अगस्त को अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। इसे उलची फ्रीडम शील्ड नाम दिया गया था। इसेउत्तर कोरिया ने ‘उकसावे’ की कार्रवाई बताते हुए चेतावनी दी थी। अब नया युद्धाभ्यास नए सहयोगियों द्वारा उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
रूस ने दी थी चेतावनी
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग से मुलाकात की थी। इसके बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिकी को बाकी सेना के साथ अभ्यास करने पर चेतावनी दी थी। कहा था कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान को उत्तर कोरिया के खिलाफ किसी भी सैन्य गठबंधन से परहेज करना चाहिए। उत्तर कोरिया ने कहा कि हम चेतावनी देते हैं कि इन संबंधों का उपयोग किसी भी देश, विशेषकर उत्तर कोरिया या रूस के खिलाफ गठबंधन बनाने के लिए न किया जाए।
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