---विज्ञापन---

दुनिया

बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी पर खतरा, प्रमुख सहयोगी ने छोड़ा साथ

Israel PM Benjamin Netanyahu: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक के बाद एक बड़े झटके लगते जा रहे हैं। उनकी सहयोगी पार्टियां लगातार साथ छोड़ रही हैं। अब प्रमुख पार्टी शास ने भी सरकार का साथ छोड़ दिया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Pushpendra Sharma Updated: Jul 16, 2025 23:18
Israel PM | Benjamin Netanyahu |
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू

Israel PM Benjamin Netanyahu: इजरायल के PM बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी पर खतरा मंडरा गया है। प्रमुख सहयोगी पार्टी शास ने सरकार का साथ छोड़ दिया है। इससे सरकार के पास बहुत कम बहुमत रह गया है। अति-रूढ़िवादी पार्टी शास के सैन्य मसौदा छूट प्रदान करने के लिए प्रस्तावित कानून पर मतभेद सामने आए हैं। पार्टी का कहना है कि वह इस कारण साथ छोड़ रही है। नेतन्याहू को ये दो दिन में दूसरा झटका है। इससे पहले दूसरी अति-रूढ़िवादी पार्टी यूनाइटेड टोरा जुडाइज्म (यूटीजे) ने भी इसी मुद्दे पर सरकार का साथ छोड़ दिया था।

नेतन्याहू की बढ़ी टेंशन 

नेतन्याहू के लिए अल्पमत सरकार का नेतृत्व करना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि शास पार्टी का कहना है कि वे गठबंधन को कमजोर नहीं करेंगे। कुछ कानूनों पर वे सरकार के साथ मतदान कर सकते हैं। वह सरकार गिराने का समर्थन भी नहीं करेंगे। नेतन्याहू के लिए एक के बाद एक पार्टियों का साथ छोड़ना इसलिए भी बड़ी टेंशन है क्योंकि अभी इजराइल और हमास गाजा के लिए युद्धविराम प्रस्ताव पर बातचीत कर रहे हैं। इसे अमेरिका सपोर्ट कर रहा है। हालांकि नेतन्याहू की सरकार के बहुत कम बहुमत में जाने के बाद बातचीत के पटरी से उतरने की संभावना नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी राजनीतिक पकड़ पर इसका असर रहेगा।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: इजरायल के हमले के बाद तुर्की आया सामने, सीरिया के राष्ट्रपति की लगाई क्लास

क्या है सीटों का गणित? 

इजरायल की नेसेट (संसद) में शास की 11 सीटें हैं। माना जा रहा है कि गठबंधन छोड़ने के बाद अब इजरायल की सरकार अविश्वास प्रस्ताव के लिए असुरक्षित है। नेतन्याहू सरकार के पास अब नेसेट में 120 में से 61 सीटें ही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब नेतन्याहू की सरकार अति-दक्षिणपंथी गठबंधन सहयोगियों पर ज्यादा निर्भर रहेंगे। बता दें कि शास पार्टी ने इजरायल की राजनीति में लंबे समय से किंगमेकर की भूमिका निभाई है। नेतन्याहू सरकार को उनका साथ छोड़ना बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है।

---विज्ञापन---

किस बात से है नाराजगी?

बता दें कि अति-रूढ़िवादी मदरसा छात्रों को अनिवार्य सैन्य सेवा से लंबे समय से छूट मिली हुई है। हालांकि वे इस बात से नाराज हैं कि सर्विस कर रहे छात्रों की वजह से उनपर एक अनुचित बोझ डाला जा रहा है। इसे टोरा छात्रों पर अत्याचार के रूप में भी देखा जा रहा है। धार्मिक अनुयायियों को अनिवार्य सैन्य सेवा से छूट देने वाले कानून पर लंबे समय से बहस चल रही है। माना जा रहा है कि इस कानून को पारित न करने के विरोध में पार्टियां ये कदम उठा रही हैं। अगर ये कानून पारित हो जाता है तो कानूनी रूप से मदरसा छात्रों को सैन्य सेवा से छूट मिल जाएगी। इससे वे धार्मिक अध्ययन में ज्यादा समय बिता सकेंगे।

ये भी पढ़ें: इजरायल ने सीरिया में घुसकर सेना के हेडक्वार्टर पर किया हमला, मचाई तबाही

सुप्रीम कोर्ट का रुख आ चुका है सामने 

अति-रूढ़िवादी यहूदी नेताओं का ये भी कहना है कि छात्रों को पवित्र ग्रंथों की पढ़ाई करने के लिए पूरी तरह समर्पित रहना चाहिए। इस मसौदे से उन्हें डर है कि अगर युवाओं को सेना में भर्ती किया गया तो वे धार्मिक जीवन छोड़ सकते हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का भी इस मामले पर अहम रुख सामने आया था। कोर्ट ने इस छूट को खत्म करने का आदेश दिया था। संसद एक नए भर्ती विधेयक पर भी काम कर रही है।

First published on: Jul 16, 2025 10:24 PM

संबंधित खबरें