इस समय भारत में काम के घंटों को लेकर चर्चा चल रही है। इसपर बहस तब शुरू हुई जब इन्फोसिस के को फाउंडर नारायणमूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया। कई लोग इसके विरोध और पक्ष में राय देने लगे। वहीं अब इसे लेकर कनाडा से खबर आई है। कनाडा में रह रहे विदेशी छात्रों ने मांग की है कि कनाडा को सप्ताह में 20 घंटे काम करने के नियम को हमेशा के लिए हटा देना चाहिए। रिपोर्ट्स मुताबिक इसमें कई भारत के भी छात्र हैं।
कनाडा की सरकार ने पिछले साल यानी 2022 के 15 नवंबर से इस सीमा को अस्थायी रूप से हटाने का ऐलान किया था। इसकी वजह यह थी कि कोरोना महामारी के बाद से कंपनियों को आर्थिक सुधार के लिए जरूरी वर्कर मिलने में दिक्कत आ रही थी।
क्या है इस मांग के पीछे की वजह
सीबीसी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के बीच काम के घंटे ज्यादा होने से उन्हें स्थिरता मिलती है। एक छात्र का कहना है कि उसके ऊपर 40 हजार डालर का एजुकेशन लोन है और वह फुल टाईम वर्क से 10 हजार डालर दे सकता है। क्रुणाल चावड़ा नाम के इस 20 वर्षीय छात्र का कहना है कि पिछले साल वह सप्ताह में 40 घंटे काम कर सका, जिस वजह से उसकी आर्थिक स्थिति ठीक रही और ट्यूशन फीस देने में कोई दिक्कत नहीं आई। पिछले नियम की वजह से उसे चिंता हो रही है क्योंकि महंगाई की वजह से उसका खर्च बढ़ा है।
देखें क्या है भारत और कनाडा के बीच का विवाद-
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20 घंटे काम पर गुजारा मुश्किल
एक और छात्र का कहना है कि ज्यादातर छात्र कम सैलरी पर काम करते हैं। न्यूनतम लैसरी इस समय 16 डॉलर है। ऐसे में 20 घंटे काम करने पर गुजारा होना बहुत मुश्किल है। वहीं हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में इस समय जीवनयापन के लिए बहुत अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं और आवास का संकट भी है। लगभग 70 लाख लोग रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच छात्रों की तरफ से यह मांग आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई छात्रों को भारी संघर्ष करना पड़ रहा है। बता दें कि भारत से बड़ी संख्या में पढ़ाई करने के लिए छात्र कनाडा जाते हैं।
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