Eugene Shoemaker Grave on The Moon: क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक शख्स था, जिसकी कब्र चंद्रमा पर है। उसे चंद्रमा की बंजर और उजाड़ जमीन पर दफन किया गया था। जी हां, अंतरिक्ष में चंद्रमा की सतह पर दफन होने वाला वह दुनिया का इकलौता शख्स है, जिसका नाम डॉ यूजीन शूमेकर है।
उनकी ग्रह विज्ञान में काफी रुचि थी। वे दुनिया में प्रचलित आधुनिक ज्योतिष विज्ञान के संस्थापक भी हैं। 31 जुलाई 1999 को अंतरिक्ष यान लूनर में उनकी अस्थियां चंद्रमा पर ले जाई गईं और उन अस्थियों को चंद्रमा की मिट्टी में मिलाकर शूमेकर की आखिरी ख्वाहिश पूरी की गई। शूमेकर अमेरिका के रहने वाले थे।
Born 93 years ago #Today, Eugene Shoemaker is one of the founders of the field of planetary science. Co-discoverer of the comet Shoemaker–Levy 9, Shoemaker is the only person whose ashes have been buried on any celestial body outside Earth https://t.co/pDE7ECmOVG pic.twitter.com/VAIvilGQcn
---विज्ञापन---— Massimo (@Rainmaker1973) April 28, 2021
अंतरिक्ष की दुनिया को समर्पित किया जीवन
अमेरिका के भू-विज्ञानी यूजीन शूमेकर ने अपना जीवन अंतरिक्ष की दुनिया को समर्पित किया था। उन्होंने क्षुद्रग्रहों और धूमकेतु के प्रभाव का अध्ययन किया। ज्योतिष विज्ञान की खोज की। भू-विज्ञान, खगोल विज्ञान और भौतिक विज्ञान सौर मंडल की उत्पत्ति और इसके विकास का पता लगाया। उन्होंने ही मून वॉक करने के लिए अपोलो अंतरिक्ष यान के यात्रियों को ट्रेनिंग दी थी।
अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की चट्टानों और गड्ढों की पहचान और उनका एनालिसिस करना सिखाया। शूमेकर ने साबित किया था कि अमेरिका के एरिजोना में क्रेटर ज्वालामुखी विस्फोट के कारण नहीं, बल्कि उल्कापिंड कारण बने थे। उन्होंने कोएसाइट और स्टिशोवाइट खनिज की तलाश की। धूमकेतु शूमेकर-लेवी 9 को तलाशा, जो 1994 में बृहस्पति ग्रह से टकराया था।
Eugene Shoemaker was a geologist in the mid 1900’s who wanted to go to the moon. He failed the medical exam to go to the moon, but he still helped train astronauts. After dying in a car crash his ashes made it to the moon.
To this day they’re still there https://t.co/qJCyMAQo3r
— Khushboo S (@Khushboo_) July 23, 2020
शूमेकर की मौत कैसे हुई, चंद्रमा पर कैसे पहुंचे?
18 जुलाई 1997 को ऑस्ट्रेलिया में वे अपनी पत्नी कैरोलिन के साथ उल्का पिंड की तलाश कर रहे थे कि उनकी का हादसे का शिकार हो गए। 69 वर्ष के शूमेकर की मौके पर मौत हो गई थी। उनकी पत्नी ने बताया कि शूमेकर चांद पर जाना चाहते थे, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाई, इसलिए अब उनकी आखिरी ख्वाहिश पूरी हो जाए, यह वे चाहती हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कैरोलिन इसके लिए उन्होंने सेलेस्टिस कंपनी से कॉन्टैक्ट किया। यह कंपनी अंतिम संस्कार के अवशेषों को अंतरिक्ष पहुंचाने में सहयोग करती है। सेलेस्टिस ने लूनर मिशन के साथ शूमेकर की अस्थियों को पहुंचाने का प्रबंध किया। इसके लिए शूमेकर की राख को एक छोटे से कैप्सूल में भेजने की परमिशन मिली।
नासा ने लूनर को चंद्रमा की सतह का नक्शा बनाने और पानी-बर्फ के संकेत देखने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसी के साथ गए कैप्सूल में शूमेकर की तस्वीर, उनके नाम और तारीखों से अंकित शिलालेख, पीतल की पन्नी और एरिजोना के बैरिंगर क्रेटर का टुकड़ा भी भेजा गया। शूमेकर को दक्षिणी ध्रुव के पास एक गड्ढे में दफनाया गया था।