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Ethiopia Volcano Eruption: 4,500 KM दूर से दिल्ली कैसे पहुंची ज्वालामुखी की राख? क्या इससे बढ़ जाएगा पॉल्यूशन? 5 सवालों के जवाब

ethiopia volcano eruption: अफ्रीका से बेहद दूर एक कोने में मौजूद एक ज्वालामुखी करीब 12000 साल बाद फटा और इसकी राख आसमान में दूर तक फैल गई और इससे आधी दुनिया प्रभावित हो रही है. दरअसल, इथियोपिया के हायली गुबी ज्वालामुखी ने 12,000 साल बाद 23 नवंबर 2025 को विस्फोट किया. यह ज्वालामुखी इतने सालों से सोया हुआ था लेकिन अचानक हुए विस्फोट के बाद इसका असर अब दूर तक दिखाई दे रहा है.

Author Written By: News24 हिंदी Updated: Nov 25, 2025 13:13

Ethiopia Volcano Eruption FAQ: अफ्रीका से बेहद दूर एक कोने में मौजूद एक ज्वालामुखी करीब 10,000 साल बाद फटा और इसकी राख आसमान में दूर तक फैल गई और इससे आधी दुनिया प्रभावित हो रही है. दरअसल, इथियोपिया के हायली गुबी ज्वालामुखी ने 10,000 साल बाद 23 नवंबर 2025 को विस्फोट किया. यह ज्वालामुखी इतने सालों से सोया हुआ था लेकिन अचानक हुए विस्फोट के बाद इसका असर अब दूर तक दिखाई दे रहा है. वहीं, 14 किमी ऊंची राख जेट स्ट्रीम हवाओं से 4500 किमी दूर दिल्ली तक पहुंच रही हैं. जिसके कारण भारत में कई एयरलाइंस की उड़ानें भी प्रभावित हुईं है.

आइए इस खबर में समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर अफ्रीका में फटे इस ज्वालामुखी की राख 4500 किमी दूर भारत कैसे पहुंची और क्या इसका दिल्ली के प्रदूषण पर असर होगा और होगा तो लोगों को इससे बचने के लिए लोगों को क्या एतिहायाती कदम उठाने चाहिए?

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कहां स्थित है हायली गुबी ज्वालामुखी

हायली गुबी ज्वालामुखी एक शील्ड ज्वालामुखी है. ये ज्वालामुखी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है. अफार क्षेत्र को ‘पृथ्वी का नर्क’ भी कहा जाता है. क्योंकि कई बार इस क्षेत्र का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. यह पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट वैली का हिस्सा है इस जगह पर पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें लगातार एक दूसरे से अलग हो रही हैं. टेक्टोनिक प्लेटें वो होती हैं जो पृथ्वी की सतह को बनाती हैं.

किस समय फटा ज्वालामुखी?

मिली जानकारी के अनुसार, ये ज्वालामुखी 23 नवंबर 2025 को भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजे फटा था. जिसके बाद इसकी राख का गुबार समुद्र तल से 14 km ऊपर चला गया. वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पहले 12000 साल में इसका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं था. सैटेलाइट डेटा से पता चला है कि इसमें सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस की मात्रा काफी ज्यादा है.

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ज्वालामुखी के फटने से आस-पास भी हुआ नुकसान

इस ज्वालामुखी के फटने के बाद इसकी राख पास में स्थित एक गांव अफदेरा पर गिरी. फिलहाल इसके कारण किसी भी जनहानि की कोई भी सूनचना नहीं मिली है, लेकिन चरवाहों को चिंता है कि राख से चरागाह बर्बाद हो जाएंगे और पशु बीमार पड़ सकते हैं, दनाकिल रेगिस्तान में कुछ पर्यटक फंस गए.

4500 किलोमीटर दूर दिल्ली कैसे पहुंची ज्वालामुखी की राख?

अफ्रीका के एक कोने में फटे ज्वालामुखी की राख का दिल्ली पहुंचना भी बेहद चौंकाने वाला है. बता दें कि हायली गुबी से दिल्ली की दूरी 4500 किमी है. इस राख के इतनी दूर पहुंचने का मुख्य कारण वायुवमंडलीय हवाओं की जेट स्ट्रीम है.

ज्वालामुखी विस्फोट से राख बारीक कणों (जैसे कांच और चट्टान के टुकड़े) के रूप में निकलती है. यह इतनी ऊंची (14 किमी) जाती है कि स्ट्रेटोस्फीयर (उपरी वायुमंडल) में पहुंच जाती है. यहां जेट स्ट्रीम नाम की तेज हवाएं जो 100-13- किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं. जो पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं.

जिसके बाद इस ज्वालामुखी की राख 23 नवंबर को लाल सागर पार कर यमन-ओमान पहुंची, फिर अरब प्रायद्वीप से पाकिस्तान होते हुए राजस्थान में घुसी. 24 नवंबर की रात 11 बजे तक यह दिल्ली पर छा गई. सैटेलाइट मैप्स (जैसे टूलूज VAAC) से पता चला कि यह 15,000 से 45,000 फीट ऊंचाई पर बह रही थी. अगर हवाएं न होतीं, तो राख बस 50-100 किमी दूर गिर जाती.

यह भी पढ़ें- अलर्ट! दिल्ली बन सकती है ‘खतरनाक’ गैस का चैंबर, लाल सागर पार करके 4300 KM दूर भारत पहुंची ज्वालामुखी की राख

क्या इस राख से और बढ़ेगा दिल्ली का प्रदूषण?

इस ज्वालामुखी की राख कुछ खास असर दिल्ली पर नहीं दिखाई देगा. क्योंकि यह राख ऊंचाई पर है, इसलिए सतह पर प्रदूषण का बड़ा असर नहीं पडे़गा. साथ ही SO₂ गैस से हल्की धुंध हो सकती है.

हजारों साल बाद क्यों फटा ज्वालामुखी?

इस ज्वालामुखी के फटने का मुख्य कारण पृथ्वी के अंदर की उथल-पुथल को माना जा रहा है. बता दें कि हायली गुबी पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट का हिस्सा है, जहां अफ्रीकी प्लेट दो भागों में बंट रही है. नीचे सुपर प्लूम नाम का गर्म मैग्मा का विशाल भंडार दबाव बना रहा था. विस्फोट से पहले मैग्मा की 50 किमी लंबी दीवार टूटी, जो एर्ता अले से मैग्मा लाई. भूकंप (4.7 तीव्रता) ने इसे ट्रिगर किया. वैज्ञानिक कहते हैं कि यह रिफ्ट वैली की नया महाद्वीप बनने की प्रक्रिया है – लाखों साल बाद यहां नया समुद्र बन सकता है.

भारत से कब जाएंगे ज्वालामुखी के राख के बादल?

मौसम विभाग का कहना है कि राख के बादल शाम 7.30 बजे तक भारत से हट जाएंगे. इंडिया मौसम विभाग ने कहा कि इथियोपिया में ज्वालामुखी की गतिविधि से राख के बादल चीन की ओर बढ़ रहे हैं और मंगलवार शाम 7.30 बजे तक भारत से दूर चले जाएंगे. IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि राख के बादल चीन की ओर बढ़ रहे हैं और शाम 7.30 बजे तक भारतीय आसमान से दूर चले जाएंगे.

First published on: Nov 25, 2025 12:59 PM

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