China-America Relationship: डोनाल्ड ट्रंप अपने बयानों और नीतियों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में दक्षिण एशिया मामलों के जानकार माइकल कुंगेलमैन ने बताया कि ट्रंप के बयान अप्रत्याशित होते हैं। वह आज क्या कहते हैं और जो कल कहेंगे वह अलग-अलग हो सकता है। इसलिए, कुगेलमैन उनके बारे में कहते हैं कि वे यू टर्न ले लेते हैं। मगर वह चीन की नीतियों से परेशान है।
ट्रंप की नीति अस्पष्ट
कुगेलमैन ने ANI से बात करते हुए बताया है कि ट्रंप की विदेश नीति खासकर भारत और चीन को लेकर काफी अस्पष्ट और अस्थिर नजर आती है। कभी वे चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी बताते हैं, तो कभी बातचीत और समझौते की संभावना पर जोर देते हैं। इसी तरह भारत को लेकर भी उनके बयान बदलते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने कहा कि ‘अमेरिका ने भारत को खो दिया जबकि कुछ ही समय बाद पीएम नरेंद्र मोदी को अपना ग्रेट फ्रेंड भी कहा।
चीन को हो रहा फायदा
एक्सपर्ट का मानना है कि राष्ट्रपति कि इस तरह की अस्थिरता से सबसे ज्यादा फायदा चीन को हो रहा है। अगर अमेरिकी राष्ट्रपति सार्वजनिक मंचों पर भारत पर संदेह जताते हैं, तो यह चीन के लिए कूटनीतिक तौर पर फायदेमंद साबित होता है। चीन लंबे समय से अपनी नई विश्व व्यवस्था बनाने की कोशिश में है और अमेरिका की डगमगाती नीति उनके पक्ष को मजबूत कर सकती है।
भारत-चीन की कोई प्रतिक्रिया नहीं
वहीं, दूसरी ओर भारत और चीन ने ट्रंप के इन बयानों पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन यह साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की लगातार बदलती रणनीति वैश्विक राजनीति को और अनिश्चित बना रही है। इससे न केवल अमेरिका की विदेश नीति की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं बल्कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन भी प्रभावित हो सकता है।
कुगेलमैन ने ट्रंप के रूस से शत्रुता करने वाले रूख पर भी बड़ी बाच कही हैं। वे कहते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। अगर वे लड़ाई रुकवाने के लिए आह्वान कर रहे थे तो उस पर अमल भी करना चाहिए था।
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