Crime Thriller Stories: 1985 से 1999 के बीच पाकिस्तान में एक ऐसा क्राइम सामने आया, जिसमें सिर्फ इस देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। हम जावेद इकबाल की बात कर रहे हैं, जो एक सीरियल किलर था और 100 बच्चों का शोषण करके उनका कत्ल किया था। ये केस बहुत चर्चित हुआ था क्योंकि जावेद ने खुद ही अपने अपराध की जानकारी एक लेटर के जरिए दी थी। इसके अलावा जावेद के दोषी साबित होने के बाद उसे उसी तरह मौत की सजा सुनाई गई थी जिस तरह उसने उन 100 बच्चों को प्रताड़ित करके मारा था। आइए इस दिल दहला देने वाले केस के बारे में जानते हैं।
100 बच्चों का किया कत्ल
इकबाल का जन्म लाहौर में एक व्यापारी के घर हुआ था और वे 8 भाई-बहनों में 6वें नंबर पर था। बता दें कि 1985 और 1999 में उसके खिलाफ समलैंगिकता की शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन कोई सबूत न मिलने पर उसे कभी भी किसी भी आरोप में दोषी नहीं ठहराया गया। मगर एक समय ऐसा आया जब जावेद ने खुद ही अपने गुनाह कबूल किए और बताया कि उसने 100 बच्चों की हत्या की है।
जावेद ने बताया कि उसने 6 से 16 साल की आयु के बीच के लड़कों का शोषण किया, उन्हें गला घोंटकर मार डाला। इसके बाद उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और टुकड़ों को एसिड के एक टब में फेंक दिया। बता दें कि इन बच्चों में से ज्यादातर भिखारी और सड़क पर रहने वाले बच्चे थे। कुछ रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि वह निशानी के तौर पर उन बच्चों के जूते रखता था। उसने अपने लेटर में बताया कि शोषण के बाद और फिर हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उपयोग करके उनके शवों को गला देता था। इसके बाद एक पास की एक नदी में उनके शवों को डाल देता था।
जब इकबाल के घर की तलाशी ली गई तो पुलिस और पत्रकारों को दीवारों और फर्श पर खून के धब्बे मिले। इसके अलावा वह चेन मिली, जिससे इकबाल ने लड़कों का गला घोंटने का दावा किया, और प्लास्टिक की थैलियों में उसके कई पीड़ितों की तस्वीरें मिलीं। इन चीजों पर बड़े करीने से लेबल लगे थे, जिस पर हाथ से लिखे पैम्फलेट पर नाम और उम्र लिखी हुई थी। इसके अलावा एसिड के दो डिब्बे भी मिलें, जिसमें इंसानों के आधे गले हुए अंग थे। अपने लेटर में जावेद ने दावा किया कि घर में शवों का जानबूझकर रखा गया था, ताकि अधिकारी उन्हें ढूंढ सकें।
क्यों किया ये अपराध?
इकबाल ने दावा किया था कि हत्याओं को अंजाम देने का मकसद लाहौर पुलिस के हाथों अन्याय पर उसका गुस्सा था। उन्होंने उसे 1990 के दशक में एक भगोड़े लड़के के साथ समलैंगिकता से संबंधित आरोपों में गिरफ्तार किया था। इस यौन हमले की पीड़ित ने इकबाल को बुरी तरह पीटा था और उसके सिर पर वार किया था, जिससे वह बेहोश हो गया था।
इकबाल ने अपने लेटर में बताया कि उसके हमले और गिरफ्तारी के बाद उसको सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत नुकसान पहुंचा था। इसके बाद उसकी मां की मृत्यु ने उसे बहुत प्रभावित किया, क्योंकि वह उनसे नहीं मिल पाया था । उस दिन से उसने कसम खाई कि वह 100 औरतों को उनके बेटों के लिए ‘पीड़ा और दर्द देगा। जैसा कि उसकी मां ने उसके लिए झेला।
इकबाल ने 30 दिसंबर 1999 को डेली जंग के दफ्तर में एक लेटर दिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसने कहा कि उसने अखबार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था क्योंकि उसे अपनी जान का डर था और उसे डर था कि पुलिस उसे मार डालेगी।
सुनाई गई ऐतिहासिक सजा
इस गुनाह के लिए इकबाल को मौत की सजा सुनाई गई। जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि उन माता-पिता के सामने तुम्हें गला घोंटकर मार दिया जाएगा जिनके बच्चों को तुमने मारा है। फिर तुम्हारे शरीर को 100 टुकड़ों में काट दिया जाएगा और उसी तरह एसिड में डाल दिया जाएगा जिस तरह तुमने बच्चों को मारा था। हालांकि गृह मंत्री मोइनुद्दीन हैदर ने इस सजा का खंडन करते हुए कहा कि ऐसी सजा की अनुमति नहीं है। बता दें कि 9 अक्टूबर 2001 को इकबाल ने जेल में चादर से फांसी लगा ली थी।
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