---विज्ञापन---

एस. जयशंकर के इस बयान के समर्थन में आया चीन, कहा- भारत के साथ बेहतर संबंध बेहद जरूरी

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के टेंशन के बीच ‘ड्रैगन’ ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के संकेत दिए हैं। चीन की ओर से भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के ‘एशियाई सदी’ वाले बयान का समर्थन किया गया है। चीन की ओर से जोर दिया गया है कि […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Aug 20, 2022 15:39
Share :
S Jaishankar, Pakistan, Goa, SCO Summit, Bilawal Bhutto Zardari
S Jaishankar

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के टेंशन के बीच ‘ड्रैगन’ ने भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के संकेत दिए हैं। चीन की ओर से भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के ‘एशियाई सदी’ वाले बयान का समर्थन किया गया है।

चीन की ओर से जोर दिया गया है कि दोनों पड़ोसियों के बीच अधिक सहयोग की जरूरत है। बता दें कि चीन की ओर से ये प्रतिक्रिया एस. जयशंकर के उस बयान के बाद आई है जिसमें जयशंकर ने कहा था कि एशियाई सदी तब तक नहीं होगी जब तक कि दो परमाणु संपन्न राष्ट्र हाथ नहीं मिला लेते।

एस. जयशंकर ने थाईलैंड में दिया था ये बयान

इससे पहले चीनी नेता देंग शियाओपिंग ने 1988 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मुलाकात के दौरान एशियाई सदी की बात कही थी। बता दें कि एस. जयशंकर ने गुरुवार को थाईलैंड के चुलालोंगकोर्न यूनिवर्सिटी में कहा था कि अगर भारत और चीन एक साथ नहीं आए तो एशियाई सदी मुश्किल होगी और आज एक बड़ा सवाल यह है कि भारत-चीन संबंध कहां जा रहे हैं?

भारत-चीन संबंधों के भविष्य पर अनिश्चितता व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तनावपूर्ण गतिरोध के कारण दोनों के बीच संबंध बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंध भी क्षेत्रीय विकास को बाधित कर सकते हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी अपनी प्रतिक्रिया

जयशंकर की टिप्पणियों पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “जैसा कि एक चीनी नेता ने कहा था कि जब तक चीन और भारत विकसित नहीं होंगे, तब तक कोई एशियाई शताब्दी नहीं होगी। मेरा भी मानना है कि एशियाई शताब्दी तब तक नहीं आ सकती जब तक चीन, भारत और अन्य पड़ोसी देश विकसित नहीं हो जाते।

वेनबिन ने कहा कि भारत-चीन के पास एक-दूसरे को कमजोर करने या फिर कम आंकने के बजाय एक-दूसरे को सफल बनाने में मदद करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि बीजिंग और नई दिल्ली एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं, बल्कि सहयोगी साझेदार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बिंदुओं पर भारत के साथ बातचीत करेगा? वांग ने कहा, “चीन और भारत के बीच इस मुद्दे पर लगातार कम्युनिकेशन जारी है।

सीमा विवाद को द्विपक्षीय संबंधों में बाधा नहीं बनने देना चाहिए: चीनी विश्लेषक

उधर, चीनी विश्लेषकों ने जयशंकर की टिप्पणी पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और चीन को संयुक्त रूप से दुनिया में अधिक स्थिरता का परिचय देना चाहिए और सीमा विवादों को द्विपक्षीय संबंधों में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।

सिंघुआ यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स अखबार को बताया कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि चीन और भारत जटिल अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के बीच वैश्विक मुद्दों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए मिलकर काम करें और सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों में बाधा न बनने दें।

First published on: Aug 20, 2022 03:39 PM
संबंधित खबरें