Car Drive On Moon: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया। चंद्रयान-3 ने यह लैंडिंग मून के साउथ पोल पर की। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया। चांद पर सफल लैंडिंग से जुड़ा एक किस्सा साल 1971 का है। साल 1971 में एक इंसान ने चांद की जमीन पर कार दौड़ाई थी। आइये जानते है क्या है वो किस्सा…
20 जुलाई 1969 को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा। नासा के इस मिशन का अपोलो-11 था। इस मिशन के 2 साल बाद नासा ने 1971 में अपोलो मिशन 15 को भी सफलतापूर्वक पूरा कर दिया। 1971 के मिशन अपोलो 15 में शामिल 2 अंतरिक्ष यात्री डेविड स्काॅट और जेम्स इरविन ने चांद पर पहला लूनर रोविंग व्हीकल तैनात किया था।
यह भी पढ़ें: Chandrayaan-3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में लैंडर से बाहर आया प्रज्ञान रोवर, इसरो को भेजी पहली तस्वीर
चंद्रमा से 76 किलो वजनी चट्टानें लेकर आए थे यात्री
चंद्र माॅडयूल फाल्कन से अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद की सतह पर 28 किमी. की दूरी तय की। अपोलो मिशन 15 चंद्रमा से लगभग 76 किलो वजनी चट्टानें लेकर धरती पर पहुंचा था। नासा के इस मिशन का मुख्य उद्देश्य हेडली एपेनाइन क्षेत्र का पता लगाना था। चंद्रमा की सतह के वैज्ञानिक प्रयोगों को स्थापित कर उसको सक्रिय करना भी शामिल था। मिशन के दौरान स्काॅट और इरविन ने चंद्रमा पर पहली कार चलाई और 28 किमी. की दूरी तय करने वाले पहले यात्री भी बने। इस दौरान दोनों अंतरिक्ष यात्रियों ने 18 घंटे 37 मिनट के रिकाॅर्ड टाइम में खोज कार्य पूरा किया।
अमेरिका में बनी थी कार
न्यूर्याक टाइम्स की एक रिपोर्ट की मानें तो 19 जुलाई 1971 का वह दिन ऐतिहासिक था। जब डेविड स्काॅट और उनके साथी यात्री जेम्स इरविन ने चंद्रमा पर यात्रा की। चंद्रमा पर चलाई गई कार मूलतया अमेरिका में बनी थी। बता दें कि जिस कार का उपयोग चांद की सतह पर किया गया था सामान्यतः उस प्रकार की कार धरती पर प्रयोग में नहीं लाई जाती।