World Latest News: बांग्लादेश को लेकर चौंका देने वाली जानकारी सामने आई है। यहां रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकवादी बनने के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक ट्रेनिंग के बाद इन आतंकियों को म्यांमार भेजा जाता है। जहां ये लोग गृहयुद्ध में शामिल होकर आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही लगातार चरमपंथी हिंसा के मामलों में इजाफा हो रहा है। जी न्यूज की चौंका देने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश को पाकिस्तान का पूरा सपोर्ट है।
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फिलहाल 250 रोहिंग्या आतंकियों को ट्रेंड किया जा रहा है। इसके लिए विदेशों से फंडिंग की जा रही है। जानकारी के मुताबिक 2 करोड़ 80 लाख रुपये मलेशिया और सऊदी अरब से बांग्लादेश भेजे गए हैं। आतंकियों को ट्रेनिंग की बात सामने आने के बाद भारत की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। क्योंकि आतंकी क्षेत्रीय शांति को अस्थिर कर सकते हैं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार ये आतंकी म्यांमार के लिए तैयार किए जा रहे हैं। जिनका मकसद अशांति फैलाना है। बांग्लादेश में रोहिंग्याओं का दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर कॉक्स बाजार है। यहां से इस साल जुलाई में 32 साल के रफीक नाम के शख्स ने म्यांमार में एंट्री की है। जिसका मकसद गृहयुद्ध में शामिल होना है। रोहिंग्याओं को उनकी जमीन वापस पाने, नागरिकता देने की बात कहकर बरगलाया जा रहा है। कॉक्स बाजार से युवाओं को चुन-चुनकर आतंकी गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक शिविरों में हिंसा और उग्रवाद का स्तर भी बढ़ रहा है।
Why are #Bengali-terrorists who call themselves #Rohingya collaborating with Myanmar’s Military to kill #Hindus , #Christians and other #minorities in Arakan?
“There is also widespread speculation that the #Bangladesh military is assisting the RSO with arms and training.” pic.twitter.com/QDaezXKirj
— RakhaRazu (@RakhaRazu) November 27, 2024
2021 में म्यांमार में हो चुका तख्तापलट
रोहिंग्या मुस्लिम समूह है, जो फिलहाल विश्व की सबसे देशविहिन आबादी है। इस आबादी ने म्यांमार से 2016 में पलायन शुरू किया था। आरोप है कि वहां की सेना ने इनके ऊपर सख्ती की थी। काफी रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली थी। भारत में भी काफी रोहिंग्या एंट्री कर चुके हैं। 2021 में सेना ने म्यांमार में तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद वहां कई संगठन सक्रिय हो गए हैं। रोहिंग्या भी उनमें से एक है।
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बताया जा रहा है कि ये लड़ाके अब अराकान सेना (AA) के खिलाफ म्यांमार की सेना का साथ दे रहे हैं। जो कभी इनके विरोध में थी। इसी सेना के अत्याचार से ये म्यांमार से भागे थे। अराकान जातीय मिलिशिया माने जाते हैं। जिनकी अधिकतर तादाद रखाइन इलाके में है।