भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में सियासी उठापटक पर विराम लग गया। अंतरिम सरकार और सलाहकार परिषद के प्रमुख प्रो. मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने इस्तीफे देने पर बात कही। दो घंटे तक चली बैठक में अंतरिम सरकार को सौंपी गई 3 प्राथमिक जिम्मेदारियों- चुनाव, सुधार और न्याय पर विस्तृत चर्चा हुई। अंत में फैसला लिया गया है कि मो. यूनुस पद पर बने रहेंगे और उनके पास ही अंतरिम सरकार की कमान रहेगी।
राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद शनिवार को सलाहकार परिषद की अनिर्धारित मीटिंग आयोजित की गई। मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में शेर-ए-बांग्ला नगर में यह बैठक हुई, जिसमें यह चर्चा की गई कि कैसे अनुचित मांगें, जानबूझकर भड़काऊ, अधिकार क्षेत्र से परे बयान और विघटनकारी कार्यक्रम लगातार सामान्य कामकाज के माहौल को बाधित कर रहे हैं तथा जनता के बीच भ्रम और संदेह पैदा कर रहे हैं।
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Statement from the Advisory Council
---विज्ञापन---Dhaka, 24 May 2025: An unscheduled meeting of the Advisory Council was held today, Saturday, following the meeting of the Executive Committee of National Economic Council. The two-hour long meeting included detailed discussions on three… pic.twitter.com/7hnKZiXV1t
— Chief Adviser of the Government of Bangladesh (@ChiefAdviserGoB) May 24, 2025
अपने पद भी ही बनेंगे मो. यूनुस
इस मीटिंग में इस्तीफे की धमकी दे रहे मो. यूनुस को मना लिया गया और अब वे अपने पद बने रहेंगे। सलाहकार परिषद का मानना है कि राष्ट्रीय स्थिरता बनाए रखने, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने, न्याय एवं सुधार करने और देश में तानाशाही की वापसी को स्थायी रूप से रोकने के लिए एकता जरूरी है। इस मामले पर अंतरिम सरकार राजनीतिक दलों के विचारों को सुनेगी और अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी।
जानें सलाहकार परिषद की बैठक में क्या हुआ फैसला?
तमाम संकट और बाधाओं के बावजूद अंतरिम सरकार राष्ट्रीय हितों को ऊपर रखकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करती रहती है। हालांकि, अगर इन जिम्मेदारियों को संभालना असंभव हो जाता है तो सरकार जनता के सामने सभी कारण बताएगी और फिर लोगों के साथ मिलकर जरूरी कदम उठाएगी। अंतरिम सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश कर रही है। अगर सरकार की स्वायत्तता, सुधार के प्रयास, न्याय प्रक्रिया, निष्पक्ष चुनाव योजना और सामान्य कामकाज में इस हद तक बाधा आती है कि उसके कर्तव्यों का पालन करना असंभव हो जाता है तो वह लोगों के साथ मिलकर जरूरी कदम उठाएगी।
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