Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश में भड़की हिंसा पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बन गई है। प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़ कर चली गईं, सत्ता के सिंहासन पर काबिज आर्मी ने जल्द अंतरिम सरकार बनाने का आश्वासन दिया है। एक दिन के अंदर बांग्लादेश में इतना कुछ बदल जाएगा, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। इस हिंसा की वजह आरक्षण को बताया जा रहा है। हालांकि सिर्फ आरक्षण के कारण शेख हसीना की कुर्सी नहीं गई है। उनके बयानों ने भी हिंसा की आग को हवा देने का काम किया है।
मेट्रो जलने पर बहाए आंसू
आरक्षण में प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मौत पर शेख हसीना ने चुप्पी साधे रखी। लोग उनके बयान का इंतजार कर रहे थे मगर इस मामले पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। वहीं दूसरी तरफ जब प्रदर्शनकारियों ने आगबबूला होकर मेट्रो फूंकी तो शेख हसीना रो पड़ीं। मेट्रो को जलता देखकर शेख हसीना टिशू से अपने आंसू पोंछती दिखाई दीं। उसके इस रिएक्शन से हिंसा और भी ज्यादा भड़क गई।
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#WATCH | Bangladesh: People in Dhaka take to streets, as violence erupts in the country.
---विज्ञापन---Bangladesh PM Sheikh Hasina has landed at Hindon Air Base in Ghaziabad, India in a C-130 transport aircraft. As per Bangladesh Army Chief, she has resigned as the PM and an Interim… pic.twitter.com/acSOsDobOr
— ANI (@ANI) August 5, 2024
पीएम शेख हसीना का बयान
इसमें रही-सही कसर पीएम शेख हसीना के बयान ने पूरी कर दी। दरअसल 14 जुलाई को एक सरकारी टीवी चैनल पर इंटरव्यू देते हुए शेख हसीना ने कहा कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों के बेटे-पोते को आरक्षण नहीं मिलेगा तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को आरक्षण दिया जाएगा? शेख हसीना के इस बयान ने आग में घी का काम किया। इससे लोग आगबबूला हो उठे और सरकारी टीवी चैनल को ही जलाकर राख कर दिया।
रजाकार कहने पर भड़की हिंसा
शेख हसीना ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शन कर रहे छात्रों को रजाकार कह कर संबोधित किया। इसे सुनकर छात्रों का गुस्सा भड़क गया। अब सवाल ये है कि आखिर ये रजाकार कौन हैं? इनका बांग्लादेश से क्या कनेक्शन है? जिनका नाम लेने मात्र से प्रदर्शनकारियों की हिंसा आसमान छूने लगी और नौबत यहां तक आ गई कि पीएम शेख हसीना की कुर्सी भी छिन गई।
कौन थे रजाकार?
दरअसल 1971 के युद्ध में रजाकारों ने पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था। पाक आर्मी चीफ टिक्का खान के आदेश पर जमात-ए-इस्लामी के नेता मौलाना अबुल कलाम ने रजाकारों की फौज खड़ी की थी। शुरुआत में सिर्फ 96 लोगों को रजाकार बनाया गया लेकिन कुछ ही दिनों में ये संख्या 50 हजार के भी पार पहुंच गई।
Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina departed from Bangabhaban at around 2:30pm on Monday on a military helicopter, accompanied by her younger sister, Sheikh Rehana for a “safer place.”: Bangladesh media reports pic.twitter.com/cAzcRgwvul
— ANI (@ANI) August 5, 2024
125 लाशों का खौफनाक किस्सा
दिसंबर 1971 में पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर कर दिया। इसके ठीक 2 दिन बाद 18 दिसंबर को ढाका के बाहरी इलाकों में 125 लाशें देखने को मिलीं। सभी लाशों के हाथ बंधे हुए थे और इनमें से कई के चेहरे भी पहचान में नहीं आ रहे थे। ये बांग्लादेश की नामचीन हस्तियां थीं, जिन्हें रजाकारों ने मौत के घाट उतार दिया। जो भी लोग उन लाशों के पास अपनों को पहचानने जा रहे थे उन्हें भी रजाकार गोली मार दे रहे थे। रजाकारों ने बड़ी बेरहमी के साथ 300 बांग्लादेशियों का कत्ल कर दिया था।
रजाकार का मतलब क्या?
बता दें कि रजाकार अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब स्वयंसेवक यानी साथ देने वाला होता है। रजाकारों ने पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था। इसलिए बांग्लादेश में इन्हें अपमान की नजर से देखा जाता है। बांग्लादेश में रजाकार का मतलब गद्दार होता है। यही वजह है कि जब पीएम शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को रजाकार कहा तो छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने देश में ही तख्तापलट कर दिया।
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