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बांग्लादेश में भारत का ‘दुश्मन’ रिहा, मौत की सजा पा चुका लुफ्तोज्जमां बाबर बरी; असम भेजने थे हथियार… जानें मामला

World News in Hindi: बांग्लादेश की सरकार के साथ लगातार भारत के संबंध खराब होते जा रहे हैं। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद लगातार दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अब बांग्लादेश की अदालत ने भी भारत विरोधी फैसला सुनाया है। विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Dec 18, 2024 20:38
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Luftuzzaman Babar

World Latest News: बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद लगातार नई दिल्ली और ढाका के संबंध खराब होते जा रहे हैं। अब बांग्लादेश हाई कोर्ट ने भारत विरोधी फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 18 दिसंबर को भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जा चुके बड़े दुश्मन को रिहा कर दिया। रिहा होने वाला पूर्व गृहमंत्री लुफ्तोज्जमां बाबर है। जिसको निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। वहीं, पांच और लोगों को भी बरी किया गया है। मामला भारतीय विद्रोहियों को हथियार सप्लाई करने से जुड़ा है। बाबर BNP सरकार में मंत्री था। AFP की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट में उसके वकील ने दावा किया कि पिछली सरकार ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से उसको जेल में डाला था। वह निर्दोष है।

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यह मामला 2004 का है। बांग्लादेश पुलिस ने हथियारों से भरे 10 ट्रक जब्त किए थे। इन ट्रकों से 27 हजार ग्रेनेड, 150 रॉकेट लॉन्चर, 11 लाख मिलियन (1.1 करोड़) से ज्यादा कारतूस और 1100 मशीनगन जब्त किए गए थे। पुलिस के अनुसार ये हथियार भारत के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) को सप्लाई किए जाने थे। इस मामले में उल्फा कमांडर परेश बरुआ को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, जो अभी तक फरार है। हैरानी की बात है कि अब कोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। बता दें कि उल्फा के साथ भारत सरकार का 2023 में शांति समझौता हो चुका है। अब बरुआ उल्फा अपना अलग गुट ULFA-I बना चुका है।

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फिलहाल उसके बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल सकी है। बांग्लादेश और भारत को उसकी तलाश है। इस मामले में 6 नवंबर को भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इससे पहले 30 जनवरी 2014 को मामले में चटगांव की मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिसमें 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इन लोगों में पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर, जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी, पूर्व DGFI मेजर जनरल (रि.) रेजाकुल हैदर चौधरी, उल्फा के परेश बरुआ और पूर्व NSI महानिदेशक अब्दुर रहीम समेत अन्य को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हैरानी की बात है कि मोतिउर रहमान निजामी को 2016 में फांसी दी भी जा चुकी है।

बीएनपी सरकार पर लगे थे गंभीर आरोप

BNP की सरकार जब सत्ता थी तो इस पर भारत विद्रोहियों को शह देने के आरोप लगे थे। भारत ने लंबे समय तक विरोध दर्ज करवाया था। जिसके बाद 2009 में शेख हसीना की सरकार सत्ता में आई। बांग्लादेश में तब जाकर भारत विरोधी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई थी। कई उग्रवादी संगठनों का खात्मा शेख हसीना ने किया था। अब शेख हसीना के जाने के बाद कोर्ट का फैसला आना सवालों के घेरे में है। बांग्लादेश के कई नेता भी सरकार के गिरने के बाद पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद के समर्थन में बयान दे चुके हैं। इन बयानों ने कहीं न कहीं भारत की चिंता बढ़ा दी है।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Dec 18, 2024 08:38 PM

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