AI Technology May Detect Breast Cancer: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी आजकल हर क्षेत्र में अपना कमाल दिखा रही है। अब मेडिकल की दुनिया में इस टेक्नोलॉजी ने ऐसा कारनामा करके दिखाया है, जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज में काफी मददगार साबित होगा और कई जानें बचाई जा सकती हैं, खासकर ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने में इस टेक्नोलॉजी ने क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है।
जी हां, AI टेक्नोलॉजी ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने में सक्षम है। इतना ही नहीं, यह टेक्नोलॉजी 4-5 साल पहले ही बता देगी कि ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है या नहीं? ऐसा होने पर बीमारी का समय रहते पता लगाकर उसकी रोकथाम के उपाय किए जा सकेंगे। साथ ही समय रहते इलाज शुरू करके मरीज की जान बचाई जा सकेगी।
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कैसे काम करेगी टेक्नोलॉजी?
अमेरिका में सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और सिलिकॉन वैली स्थित प्रौद्योगिकी स्टार्टअप Whiterabbit.ai के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च की, जो रेडियोलॉजी: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुई। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मैलिनक्रोड्ट इंस्टीट्यूट ऑफ रेडियोलॉजी (MIR) में रेडियोलॉजी के प्रोफेसर और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और वरिष्ठ लेखक रिचर्ड एल. वाहल ने Whiterabbit.ai के रिसर्चर्स के साथ मिलकर काम किया।
रिपोर्ट के मुताबिक, AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मेमोग्राफी की गई, जिसमें कुछ धब्बे डिटेक्ट किए गए। वही धब्बे आगे जाकर कैंसर ट्यूमर में बदल गए। इन धब्बों को डिटेक्ट करने के लिए डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी के साथ एक AI सिस्टम बनाया गया। रिसर्च के लिए मरीज का मेडिकल डेटा, जेनेटिक हिस्ट्री जुटाई गई और मेमोग्राफी करके नतीजों पर पहुंचा गया। फिलहाल हंगरी के चिकिस्क कंप्यूटर आधारित डिटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल करके कैंसर को डिटेक्ट कर रहे हैं।
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टेक्नोलॉजी के फायदे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, AI टेक्नोलॉजी रेडियोलॉजिस्ट्स के लिए चमत्कारी टूल साबित हो सकता है। इस टेक्नोलॉजी से ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करके रेडियोलॉजिस्ट्स पहले से टेस्टिंग करके कैंसर होने की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। समय रहते कैंसर का पता लगाकर ट्रीटमेंट करके जान बचा सकते हैं। शुरुआत में कैंसर का इलाज सस्ता होता है। ऐसे में समय से पहले या शुरुआती चरण में ही कैंसर होने की संभावनाओं का पता लगाकर आर्थिक नुकसान होने से बचाया जा सकता है। आर्थिक नुकसान झेलकर गरीबी में जीवन बिताने या सुसाइड करने जैसी संभावनाएं भी खत्म हो जाएंगी।
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टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में चुनौतियां
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। एक नहीं 3-3 चुनौतियां हैं। जैसे AI टेक्नोलॉजी से मरीज की पर्सनल और सेंसिटिव इन्फॉर्मेशन्स लीक हो सकती हैं। इसलिए इसके डेटा को सीक्रेट रखना सबसे बड़ा चैलेंज है। AI टेक्नोलॉजी सटीक और नई जानकारी दे रही है, इसके लिए समय-समय पर इसे अपग्रेड और मॉनिटर करना भी अनिवार्य होगा।
तीसरा चैलेंज, AI टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को एक्सेप्ट करना है। जब तक लोगों को ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने में इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और फायदों के बारे में नहीं बताया जाएगा, तब तक लोग इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए नहीं मानेंगे, फिर भी यह टेक्नोलॉजी कैंसर की दुनिया के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है। कैंसर के इलाज की नई संभावनाओं को जन्म दे सकती है। बीमारी की रोकथाम और उन्मूलन में सहायक हो सकती है।
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