नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मुहर लगाए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका असर दिखाई देने लग गया है। पहली प्रतिक्रिया पड़ोसी देश चीन से आई है। चीन की सरकार की तरफ से इस फैसले का स्वागत करते हुए पाकिस्तान के साथ चल रहे विवाद को आपसी बातचीत के जरिये सुलझाने की राय दी है।
The Kashmir issue is an issue left over from history between India and Pakistan, and it should be resolved peacefully based on the UN Charter, Security Council resolution and bilateral agreements, Chinese Foreign Ministry spokesperson Mao Ning said after India’s top court upheld… pic.twitter.com/HQvfMr6U5H
---विज्ञापन---— Global Times (@globaltimesnews) December 12, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने कल ही लगाई थी मोदी सरकार के फैसले पर मुहर
बता दें कि 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय कर दिया था। इसके बाद यह मसला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया। इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है।
पाकिस्तान ने बताया एकतरफा फैसला
इस फैसले के तुरंत बाद पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने कहा था कि यह फैसला सख्त न्यायपालिका का नतीजा है। दावा किया गया था कि भारत को कश्मीरी लोगों और पाकिस्तान की इच्छा के खिलाफ एकतरफा फैसला लेने का कोई हक नहीं है। जम्मू और कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का विवाद है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल है।
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चीनी विदेश मंत्रालय ने किया समर्थन
मंगलवार को इसको लेकर चीन की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। बीजिंग में विदेश मंत्रालय की मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता माओ निंग ने कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति को सुसंगत और स्पष्ट बताया। उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते के अनुसार शांतिपूर्ण और उचित तरीके से हल करने की जरूरत है’।
हालांकि चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयों की तरफ से दिए गए बयानों के संंबंध में भारतीय अधिकारियों की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बावजूद इसके काफी समय से भारत अपनी बात पर अडिग है कि जम्मू और कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और इस मामले में दूसरे देशों को कोई दखल नहीं देना चाहिए।
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क्या होगा इन रिएक्शंस के बाद?
दूसरी ओर इसी के साथ उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि हाल के दिनों में भारत-पाकिस्तान के संबंधों में गहरी गिरावट आई है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे सैन्य गतिरोध के कारण भारत और चीन के संबंध भी छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर हैं। ऐसे में बीजिंग और इस्लामाबाद से जारी प्रतिक्रियाओं का भारत पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा।