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Israel Hamas War: जंग पर बदले अमेरिकी रुख के मायने? युद्ध के बीच इजरायल जाएंगे राष्ट्रपति बाइडेन

America on Israel Hamas War: हमेशा की तरह इजरायल और हमास आतंकियों की जंग में भी अमेरिका का दोहरा रवैरूा सामने आ रहा है। एक ओर इजरायल को सपोर्ट किया जा रहा है, वहीं हमास के पक्ष में भी इस देश की सत्ता खड़ी दिखाई दे रही है। इसी बीच अब खबर आई है कि जाे बाइडेन इजरायल जाएंगे।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Oct 18, 2023 20:37
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America Warned Israel

America on Israel Hamas War, न्यूयॉर्क: इजराइल हमास युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आज इजरायल का दौरा करने वाले हैं। बाइडेन ने कहा कि इजरायल को हमास को खत्म करना चाहिए, लेकिन गाजा पर हमला एक बड़ी गलती होगी। बाइडेन का यह बयान उस वक्त सामने आया है, जबकि पश्चिमी एशिया इस समय एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है।

बता दें कि जब 7 अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर लगातार 5000 से ज्यादा राॅकेट दागे। इसके बाद इजरायल ने भी बदला लेने की ठानी और युद्ध का ऐलान कर दिया। इस बीच इस युद्ध से सबसे ज्यादा प्रभावित गाजा में रहने वाले करीब 20 लाख लोग हैं। इस युद्ध में दोनों तरफ से 4200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इसमें इजरायल के 1400 लोग हैं तो वहीं गाजा के 2800 से ज्यादा लोग हैं। गाजा के लोगों पर मानवीय संकट मंडरा रहा है। आम नागरिक बेवजह मारे जा रहे हैं।

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अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी कहा है कि गाजा में रहने वाले सभी लोगों को हमास का नहीं माना जा सकता और इजरायल को निर्दोष लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल को हमास को खत्म करना चाहिए लेकिन गाजा पर हमला एक बड़ी गलती होगी। बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया है कि इजरायल युद्ध के नियमों का पालन करेगा और गाजा के लोगों को भोजन पानी और दवा मुहैया कराई जाएगी।

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जंग पर तेवर पड़े नरम

जहां एक तरफ इजरायल के सैनिक हथियारों और टैंकों के साथ गाजा की सीमा पर तैनात हैं और गाजा पर एक बड़े हमले की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में बाइडेन का यह कहना ठीक भी है। अब देखना होगा कि इजरायल मानवाधिकारों का कितना ध्यान रखता है और गाजा के निर्दोष नागरिकों का कितना ख्याल रखता है। जंग पर अमेरिका के तेवर का नरम पड़ना शुभ संकेत तो है, लेकिन हमले से गुस्साए इजरायल को मनाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि वहां के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू साफ कह चुके हैं कि वे हमास का सफाया करके ही मानेंगे।

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दूसरे देशों को नसीहत देना अमेरिका की फितरत

बाइडेन के हालिया बयान से साफ है कि अमेरिका ने पूर्व में हुए युद्धों से काफी कुछ सीखा है। इसमें पहला तो यह कि इससे आम नागरिकों को काफी ज्यादा नुकसान होता है। अफगानिस्तान में अमेरिका जैसी महाशक्ति को इस वजह से हारना पड़ा, क्योंकि वहां के आम नागरिकों ने भी युद्ध में भाग लेना शुरू कर दिया था। दूसरी तरफ बात-बात पर मानवाधिकरों को लेकर दूसरे देशों को नसीहत देना भी अमेरिका की फितरत रही है। ऐसे में उसे मनावाधिकारों का अगुआ बनने की भी कोशिश करनी है। साथ ही उसे पता है कि युद्ध अगर लंबा खिंचा तो इसके क्या परिणाम होंगे, क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध से दुनिया ऐसे ही संकट का सामना कर रही है। अमेरिका मुस्लिम देशों को भी खुश रखना चाहता है। खासकर सऊदी अरब से उसने हाल के दिनों में जिस तरह निकटता बढ़ाई है उससे साफ है कि वह दोनों पक्षों को साधकर चलने में ही अपनी भलाई समझता है।

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Written By

Balraj Singh

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Balraj Singh

First published on: Oct 17, 2023 08:05 PM

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