जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया है। इस हमले में 26 बेकसूर लोगों की जान चली गई। इन्हीं में से एक थे सैयद आदिल हुसैन शाह, जो पहलगाम के रहने वाले थे। आदिल अपने घर के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे और रोज की तरह मजदूरी करने निकले थे। लेकिन उस दिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब आतंकियों ने हमला किया तो आदिल डरकर भागने के बजाय लोगों की मदद के लिए आगे आए। लेकिन इंसानियत दिखाना उन्हें भारी पड़ गया। आतंकियों ने ना धर्म देखा, ना जात, बस नाम पूछा, कलमा सुनने को कहा और फिर गोलियों से भून डाला। आदिल मुसलमान थे, लेकिन सिर्फ इसलिए निशाना बने क्योंकि वो दूसरों की मदद कर रहे थे। इस घटना ने साफ कर दिया कि आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता, उनका निशाना सिर्फ इंसानियत है। आदिल की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, मां-बाप का इकलौता सहारा छिन गया। अब जरूरत है इंसाफ की, ताकि भविष्य में कोई और आदिल आतंक की बलि न चढ़े।
Thursday, 24 April, 2025
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Jammu Kashmir Terrorist Attack: इंसानियत पर बरसी गोलियां, आदिल की कुर्बानी ने झकझोरा देश
पहलगाम का हमला सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर उस परिवार की चीख है जो अपनों को खो चुका है। सैयद आदिल हुसैन की मां का रो-रो कर बुरा हाल है, क्योंकि उनका बेटा अब कभी घर नहीं लौटेगा। आतंकियों ने यह नहीं देखा कि कोई हिंदू है या मुसलमान, उन्होंने देखा कौन इंसान है और उसी पर गोली चलाई। यह घटना बताती है कि अब वक्त आ गया है जब सिर्फ संवेदना नहीं, बल्कि कड़ी कार्रवाई और न्याय जरूरी है। देश को अब चुप नहीं रहना चाहिए।
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First published on: Apr 23, 2025 06:59 PM
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