Israel Iran War: मध्य पूर्व में बसा देश ईरान से युद्ध करना आसान हो सकता है मगर उससे जीतना आसान नहीं है। जी हां, दरअसल, इसके पीछे कई कारण शामिल है। यह रणनीतिक रूप से आसान नहीं है। ईरान की सैन्य ताकत और भौगोलिक स्थिति उसे कई हद तक ताकतवर बनाती है। सैन्य ताकत की बात करें तो ईरान सीधे नहीं लड़ता है। उसके पास इराक, सीरिया, लेबनान और यमन में अपने प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए जंग करता है। वहीं, भौगोलिक स्थिति की बात करें, तो ईरान ब्रिटेन से लगभग 7 गुना बड़ा देश है। इसके पश्चिमी हिस्से में जैग्रोस पर्वत माला है, जो काफी हदक देश को सुरक्षा प्रदान करता है। वहीं, दक्षिण के क्षेत्र में नुकीले पहाड़ों जैसी स्थिति है, जहां लैंडिंग करना मुश्किल है। वहीं, ईरान के मध्य में दो खतरनाक रेगिस्तान फैले हुए हैं, जिन्हें पार करना भी कठिन है। ये रेगिस्तान है दाश्त-ए-कवीर और दाश्त-ए-लूत, जो इतने गर्म हैं कि यहां टिक पाना तो दूर चलना भी मुश्किल है। इन्हें नो गो जोन भी कहा जाता है।
ईरान की समुद्री स्थिति?
ईरान की समुद्री स्थिति सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, रणनीतिक तौर पर। होर्मुज जलसंधि, एक ऐसी जगह, जो पूरी दुनिया के तेल और गैस की आवाजाही के लिए अहम है। यदि ईरान इस रूट पर प्रतिबंध लगाता है, तो नया संकट भी खड़ा हो सकता है। ईरान दुनिया का चौथा बड़ा तेल भंडार है और नेचुरल गैस का दूसरा सबसे बड़ा भंडार है।
ये भी पढ़ें- Israel Iran War: ‘क्या खामेनेई सरकार बदल सकती है?’ ईरान में हमले के बाद दिए बयान से फिर पलटे ट्रंप