दिल्ली के करकडुमा कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी जांच को लेकर एक बार फिर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. अदालत ने साफ कहा कि पुलिस की तैयार की गई नई चार्जशीट अस्पष्टता, भ्रम और अधूरी जांच का उदाहरण है. अदालत का यह सख्त रुख उस वक्त सामने आया जब दंगे के दौरान हुई आगजनी और तोड़फोड़ से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि दंगों में शामिल दो समूहों में से किस समूह ने पीड़ितों की संपत्ति को जलाया या नुकसान पहुंचाया. मामला उत्तरपूर्वी दिल्ली के उस इलाके से जुड़ा है जहां 2020 में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान सैकड़ों घर और दुकानें जला दी गई थी. इनमें पांच लोग कोमल मिश्रा, गौरव, गोलू, अजहर और मोहम्मद आरिफ को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन कोर्ट का कहना है कि पुलिस की जांच रिपोर्ट इतनी उलझी हुई है कि यह बताना मुश्किल है कि आरोपियों ने किस पीड़ित की संपत्ति पर हमला किया.
अदालत ने कहा कि 21 जनवरी को उसने जांच अधिकारियों को आदेश दिया था कि वे मामले को स्पष्ट सबूत और निश्चित समय सीमा के साथ दोबारा पेश करें. मगर पुलिस ने अभी तक उस निर्देश का पालन नहीं किया है. इसमें सबसे बड़ी लापरवाही पूरक आरोप पत्र यानी सप्लीमेंट्री चार्जशीट को लेकर हुई है.