इस्ताबुल में चार दिन चली शांति वार्ता अचानक टूट गई जब पाकिस्तानी और अफगान तालिबान प्रतिनिधि मंडलों के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप सामने आए. वार्ता के दौरान पाकिस्तान की कुछ मांगों पर अफगान पक्ष ने सत्य विरोध जताया. जिसके बाद पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने बैठक छोड़ दी और बातचीत रद्द हो गई. सबसे विवादित मोड़ तब आया जब पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मेजर जनरल शहाब असलम ने तालिबान नेताओं पर ना केवल गंभीर आरोप लगाए बल्कि अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया.
खबरों के मुताबिक 27 अक्टूबर की बहस में मेजर जनरल असलम ने तालिबान पर टीटीपी को नियंत्रित ना करने का आरोप लगाते हुए तीखी भाषा का प्रयोग किया. यह पल बातचीत का माहौल गर्मा देने वाला साबित हुआ. इस गालियों और आरोपों से क़तर और तुर्की के मध्यस्थ हैरान रह गए और अफगान प्रतिनिधिमंडल ने इसे बदतमीजी बताते हुए वार्ता रद्द कर दी. तालिबान की तरफ से कड़ा जवाब भी आया. उनके रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर को चेतावनी देते हुए कहा अगर अफगान जमीन पर पाकिस्तान पर कोई हमला हुआ तो हम इस्लामाबाद को तबाह कर देंगे. हम शांति की इच्छा रखते थे लेकिन पाकिस्तान ने सहयोग नहीं किया.









