नम्रता कांडपाल पुरोहित
हिंदू पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि महीने में दो बार यानी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है। जब यह तिथि रविवार के दिन आती है, तो इसे भानु सप्तमी कहा जाता है। बारह महीने में ऐसी कुल 24 तिथियां होती है। दोनों पक्षों की हर मास की सप्तमी तिथि का एक नाम भी होता है, जैसे- आरोग्य सप्तमी, भानु सप्तमी आदि। वैशाख मास कृष्ण पक्ष की यह सप्तमी तिथि भानु सप्तमी पर्व का विशेष दिन है। यदि आप अपने पिता के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि पिता का साथ, उनका आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहे और जीवन में आपको नेम और फेम मिले, तो आपके लिए भानु सप्तमी का पर्व विशेष महत्व रखता है।
20 अप्रैल को मनाई जाएगी भानु सप्तमी
इस बार वैशाख मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 19 अप्रैल 2025, शनिवार की शाम 6:21 PM बजे से होगी और इस तिथि की समाप्ति 20 अप्रैल 2025, रविवार को शाम 7:00 पं बजे होगी। उदयातिथि के अनुसार, भानु सप्तमी 20 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
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इस बार की भानु सप्तमी है काफी खास
इस बार भानु सप्तमी काफी खास है, क्योंकि इस दिन दुर्लभ सिद्ध योग बन रहा है और त्रिपुष्कर योग के साथ ही साथ पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के संयोग बन रहे हैं। ऐसे शुभ संयोगों के बीच भगवान भास्कर की पूजा करने से जीवन में उन्नति मिलती है और सभी तरह के सुख शांति समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मत्स्य पुराण में बताया गया है कि इस दिन स्नान-दान करने से जीवन की हर कठिनाइयों में सफलता मिलती है।
भानु सप्तमी के दिन करें ये उपाय
तांबे या पीतल के लोटे से दें अर्घ्य: भानु सप्तमी के दिन आप मात्र जल से भगवान भास्कर को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। इसके साथ ही पा सकते हैं जीवन में उन्नति प्रगति नए आयाम। आरोग्यता और संपन्नता का वरदान पाने के लिए और अपनी कुंडली को बलवान बनाने के लिए भानु सप्तमी के दिन साक्षात देव यानि भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना सुबह जल्दी उठकर करें। इस दिन उगते सूरज और डूबते सूर्य को तांबे या पीतल के लोटे से अर्घ्य दें।
पिता का आशीर्वाद लें: कोशिश करें कि इस दिन आप उपवास रखें। यदि यह संभव न हो तो बिना नमक का सात्विक आहार ग्रहण करें। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें इसके साथ ही साथ सबसे महत्वपूर्ण अपने पिता का आशीर्वाद लें। पिता के साथ समय बिताएं। पिता को कोई उपहार भेंट दें। इस दिन गुड़ वाले चावल या गुड़ वाला आटे का हलवा बनाकर भोग लगाकर पूरा परिवार मिल बैठकर खाएं।
तांबे के बर्तनों का दान दें: संभव हो तो भगवान सूर्य नारायण को जवा पुष्प या आक के पुष्प अर्पित करें। संभव हो तो गुड़, गेहूं और तांबे के बर्तनों का दान दें। मान्यता है कि इससे न केवल ग्रह दोष दूर होते हैं, बल्कि पूर्वजों और पितरों का भी आशीर्वाद बना रहता है।
भानु सप्तमी व्रत का शुभारंभ
यदि आप भानु सप्तमी का उपवास आरंभ करना चाहते हैं, तो वैशाख मास की सप्तमी से इसे शुरू कर सकते हैं। इसके लिए तांबे के कलश में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। मध्याह्न के समय यानी दोपहर 12:00 बजे समय तांबे की छोटी प्लेट या थाली में गुड़, मिष्टान्न, पुष्प, रोली और अक्षत रखकर भगवान भास्कर के प्रतिबिंब की पूजा करें। इस व्रत को 12 बार करना होता है यानी आपको 12 सप्तमी लगातार इस उपवास को रखना होगा। सुहागिन महिलाएं इसे अपने घर-परिवार की सुख, शांति और समृद्धि, पति की लंबी आयु और पति से प्रेम में वृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन ब्राह्मण भोजन करवाना भी अति उत्तम रहता है।
इन मंत्रों का करें जाप
भगवान भास्कर की पूजा से ज्ञान, सुख, प्रसिद्धि, सफलता और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। सूर्य पूजा से व्यक्ति राजकीय सेवा में जाता है। सूर्य को पिता माना गया है। सूर्य सारी सृष्टि में ऊर्जा और प्रकाश फैलाने वाले आरोग्य का वरदान देने वाले भगवान सूर्यनारायण ही हैं। इस दिन ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:‘ और ‘ॐ आदित्याय नमः‘ मंत्र का जाप करें। इन मंत्रों के जाप भगवान भास्कर की कृपा प्राप्त होती है और घर धन-धान्य और खुशियों से भर जाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।