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1600 कीलों पर दंडवत होकर खाटू श्याम जा रहा ये शख्स, अनूठी भक्ति देख हैरत में पड़े लोग

Shree Khatu Shyam Temple : मध्य प्रदेश के सोनू सांवरिया 1600 कीलों पर दंडवत कर खाटू श्याम के दर्शन के लिए यात्रा कर रहे हैं। सोनू की आस्था को देखकर श्रद्धालु हैरान हैं।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Mar 6, 2025 21:06
Sonu Khatu Shayam

Shree Khatu Shyam Temple : राजस्थान के खाटू श्याम के दरबार दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। कुछ मन्नत पूरी होने के बाद जाते हैं तो कुछ यहीं जाकर खाटू श्याम से मन्नत मानते हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम के वार्षिक सतरंगी फाल्गुनी लक्खी मेले में शामिल होने के बाद हजारों श्रद्धालु अब बाबा श्याम के दरबार में पहुंचने लगे हैं। इन्हीं श्रद्धालुओं में एक अनोखा भक्त भी शामिल है, जो 1600 कीलों पर दंडवत होकर बाबा के दरबार में पहुंच रहा है।

मध्य प्रदेश के रहने वाले सोनू सांवरिया की अनोखी आस्था देखकर लोग हैरत में हैं। सोनू सांवरिया 1600 कीलों पर दंडवत होकर खाटू श्यामजी के दर्शन करने जा रहे हैं। सोनू रींगस से खाटू तक “कनक दंडवत” यात्रा कर रहे हैं। सोनू सांवरिया का ‘कनक दंडवत’ लोगों के लिए विशेष आकर्षण विषय बन गया है। वह कीलों पर लेटकर दूरी तय कर रहे हैं और यह कठिन यात्रा कर रहे हैं।

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1600 नुकीली कीलों पर लेटकर पहुंचेंगे खाटू श्याम

वैसे तो लोग जमीन पर लेटकर दंडवत करते हैं, लेकिन सोनू कनक दंडवत कर रहे हैं। इसमें वह समतल जमीन पर नहीं, बल्कि 1600 नुकीली कीलों पर लेटकर यात्रा कर रहे हैं। कीलों पर लेटकर वह राजस्थान के सीकर जिले के खाटू पहुंच रहे हैं। लोहे की कीलों पर लेटकर कनक दंडवत करने वाले सोनू सांवरिया की भक्ति की हर कोई सराहना कर रहा है।

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हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब सोनू रींगस से खाटूधाम तक यह कठिन यात्रा कर रहे हैं। पिछले साल भी सोनू सांवरिया ने इसी तरह की कनक दंडवत यात्रा की थी, जिसे श्रद्धालुओं ने खूब सराहा था। बाबा श्याम के प्रति अटूट भक्तिभाव के कारण सोनू लोहे की कीलों पर कनक दंडवत कर रहे हैं।

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कहां है बाबा श्याम का दरबार?

खाटू श्याम का मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में स्थित है। यह मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में रूपसिंह चौहान और नर्मदा कंवर द्वारा कराया गया था। कहा जाता है कि राजा के सपने में मंदिर बनाकर बर्बरीक का शीश उसमें स्थापित करने का आदेश मिला था। इसके बाद राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Mar 06, 2025 09:06 PM

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