Sweden First Cashless Country: बदलती टेक्नोलॉजी की दुनिया में ऑनलाइन पेमेंट ने अब अपनी जगह बना ली है. आज के समय में कई देश कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. हालांकि आज भी कई लोग अपनी जेब में कैश लेकर चलते हैं और नगद ही लेनदेन करते हैं. भारत सहित कई देशों में आज भी कई लोग नगद पैसा लेना ही पंसद करते हैं.
वैसे तो हमने दुनिया भर में कैशलेस पेमेंट के मामले में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है. फिर भी, नगदी का चलन आज भी है. वहीं, अब यूरोप के एक छोटे से देश ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. स्वीडन ने वो कर दिखाया है जिसे अब तक वित्तीय दुनिया में लगभग असंभव माना जाता था. स्वीडन अब आधिकारिक तौर पर दुनिया का पहला कैशलेस देश बन गया है.
स्वीडन में अब दुकानों पर ‘नगद स्वीकार नहीं है’ (No cash Accepted) के बोर्ड दिखने लगे हैं. स्वीडन की इस डिजिटव क्रांति की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसमें देश के बुजुर्गों को भी पूरे सम्मान के साथ शामिल किया गया है. जो पीढ़ी कभी कागजी नोटों पर सबसे ज्यादा भरोसा करती थी, आज वही पीढ़ी मोबाइल पेमेंट ऐप के जरिए सभी पेमेंट कर रही है.
स्वीडन कैशलेस कैसे हुआ?
यूरोप के स्वीडन में साल 2010 में करीब 40% पेमेंट कैश में होते थे, लेकिन 2023 तक ये घटकर 1% से भी कम रह गया है. यानी पिछले एक दशक में देश ने लगभग पूरी तरह से डिजिटल पेमेंट सिस्टम अपना लिया है. साल 2025 तक ये 1% भी खत्म हो गया है.
किस ऐप ने बदली जिंदगी?
पूरी दुनिया में डिजिटल पेमेंट को लेकर कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. स्वीडन में इस क्रांति का सबसे बड़ा नायक है स्विश (Swish) नाम का मोबाइल ऐप. स्वीडन के प्रमुख बैंकों ने मिलकर साल 2012 में इसे लॉन्च किया था. जिसके बाद आज यह स्थिति है कि देश की कुल आबादी के 75% से अधिक यानी 80 लाख से ज्यादा लोग इस ऐप के माध्यम से ही पेमेंट कर रहे हैं.
स्वीडन की राह पर हैं कई अन्य देश
स्वीडन ने जो हासिल किया है, वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है. स्वीडन के बाद अब नॉर्वे, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी तेजी से इसी रास्ते पर हैं, जहां नगदी का इस्तेमाल 5% से भी कम हो गया है.
भविष्य में अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बना रहा बैंक
स्वीडन का केंद्रीय बैंक Riksbank अब e-Krona नाम की डिजिटल करेंसी पर काम कर रहा है, ताकि भविष्य में अर्थव्यवस्था को और सुरक्षित और आधुनिक बनाया जा सके.










