Devraha Baba on Video Viral on Ram Mandir : अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए राम मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। राम मंदिर की लड़ाई सालों से चली आ रही है। राममंदिर निर्माण को लेकर देवरहा बाबा ने लगभग 35 साल पहले भविष्यवाणी की थी, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है।
6 नवंबर 1989 को राजीव गांधी देवरहा बाबा से मिलने और आशीर्वाद लेने पहुंचे थे, इसके बाद दिए एक इंटरव्यू में देवरहा बाबा से सवाल पूछा गया कि विश्व हिन्दू परिषद के लोग और राजीव गांधी भी आपसे मिलने आये थे, राम मंदिर को लेकर कौन गलत कर रहा है और कौन सही? इस सवाल के जवाब में देवरहा बाबा ने कहा कि राममंदिर के संबंध में राजीव गांधी का सिद्धांत भी अच्छा है। सबका अच्छा है।
इस पर उनसे पूछा गया कि विश्व हिन्दू परिषद तो मंदिर बनाने जा रहा था लेकिन राजीव गांधी ने उसे रोक दिया ? इस पर बाबा ने कहा कि सुनो, वह रोका नहीं है। कायदे से बन जाएगा। मंदिर बनने में कोई संदेह नहीं है। मंदिर बनने में कोई विघ्न नहीं है। हमारा आशीर्वाद है कोई विघ्न नहीं डालेगा।
अब जब राममंदिर बनकर तैयार हो रहा है और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है तो लगभग 35 साल पहले देवरहा बाबा की भविष्यवाणी अब वायरल हो रही है। देखिए वीडियो
https://twitter.com/DivineIND_/status/1744158549498888461
देवरहा बाबा ने कहा था कि देश में फैली अशांति के पीछे का कारण गौहत्या है। भारत की गरीबी दूर करने के लिए गौरक्षा जरूरी है। गौहत्या करने वालों को उपदेश देना चाहिए ताकि वह गौहत्या ना करें। बता दें कि देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए कई बड़े नेता उनके पास पहुंचते थे। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ जाकिर हुसैन जैसे दिग्गज नेता देवरहा बाबा से मिलने पहुंचे थे।
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कौन हैं देवरहा बाबा?
देवरहा बाबा को भारत का एक दिव्य संत माना जाता था। वह उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे, जहां उनका आज अभी आश्रम है। बाबा मथुरा में यमुना के किनारे एक मचान पर रहते थे, वहीं से भक्तों को दर्शन देते थे। बाबा से मिलने वालों ने चमत्कार महसूस किया लेकिन बाबा ने खुद शक्ति और सिद्धि का दावा कभी नहीं किया। भक्त और समर्थक दावा करते हैं कि देवरहा बाबा 250 साल तक जिंदा रहे। 1990 को यमुना किनारे वृंदावन में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था।