Stock Market News: अपने आप में ही एक नए मामले में, बेंगलुरु का एक व्यक्ति शेयर बाजार में निवेश और व्यापार करने की अपनी लत को दूर करने के लिए डॉक्टरों से मदद लेने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) में डी-एडिक्शन क्लिनिक जा पहुंचा।
सर्विस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी (SHUT) क्लिनिक में पेशेवरों से परामर्श करने का निर्णय तब लिया गया जब उन्होंने ट्रेडिंग में 30 लाख रुपये से अधिक का नुकसान उठाया। शख्स की स्थिति को देखकर उसके परिजनों ने उसको चिकित्सा लेने को कहा।
क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर और SHUT क्लिनिक के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘जुए या जुआ खेलने की लत जैसे अन्य मामलों के विपरीत, हमें रोगी की समस्या को विस्तार से समझकर उसकी स्थिति का समाधान करने के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाना पड़ा, क्योंकि यह हम मनोवैज्ञानिकों के लिए भी अपनी तरह का पहला मामला था।’
क्यों लेने पड़ा डॉक्टरों का सहारा
वह व्यक्ति, जिसे पहले ही भारी नुकसान हो चुका था, उसने अपनी सारी जीवन बचत का उपयोग कर लिया था और ट्रेडिंग जारी रखने के लिए लोगों से पैसे उधार लिए थे। इससे उनके पारिवारिक जीवन पर बुरा असर पड़ा और उन्हें इलाज के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने अपने उपचार के हिस्से के रूप में दो सत्रों में भाग लिया है।
SHUT के पेशेवरों ने खुलासा किया कि स्टॉक ट्रेडिंग की लत के मामले उनकी श्रेणी में नहीं आते हैं, लेकिन यह एक दुष्क्रियात्मक समस्या के रूप में सामने आया। एक वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक ने कहा, ‘स्टॉक ट्रेडिंग के जुनून का उपचार हमारे लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके लिए अत्यंत सावधानी और संपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, क्योंकि रोगी को कोई आवेगी समस्या नहीं होती है जिसके लिए दवा की आवश्यकता होती है। इस मामले में दो प्रमुख प्रश्न उठते हैं – क्या व्यक्ति को व्यापार से पूर्ण संयम की आवश्यकता है या नियंत्रित तरीके से इसमें शामिल होना चाहिए।’