Radha Damodar Mandir Vrindavan: होली का त्योहार अपने साथ खुशी और उत्साह लेकर आता है। इस दिन लोग आपसी बैर भुलाकर अपनों को गले लगाकर रंग लगाते हैं। इसी वजह से होली के दिन देश में अलग ही धूम देखने को मिलती है। होली के दिन घरों में तो लोगों का उत्साह देखने लायक होता ही है। इसके अलावा देश के कुछ प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर ऐसे भी हैं, जहां खास तरीके से होली खेली जाती है।
आज हम आपको देश के एक ऐसे प्रसिद्ध और प्राचीन हिंदू मंदिर के बारे में बताएंगे। जहां लोग भजन की धुन पर फूलों और रंगों के साथ होली खेलते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़े दिलचस्प रहस्य के बारे में।
Today’s Darshan Sri Sri Radha Madan Mohan Mandir, Vrindavana. pic.twitter.com/i8yYrcvMGk
— SP (@NewKrsna) May 29, 2020
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राधा दामोदर मंदिर की क्या है खासियत?
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में प्राचीन राधा दामोदर मंदिर स्थित है। यह मंदिर राधा रानी और श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में राधा रानी और श्रीकृष्ण के अलावा रूप गोस्वामी और उनके कई शिष्य की साधना स्थली भी बनाई गई है। बता दें कि राधा दामोदर मंदिर की स्थापना साल 1599 में रूप गोस्वामी के होनहार शिष्य जीव गोस्वामी ने की थी। उन्होंने माघ शुक्ल दशमी तिथि को इस मंदिर की नींव रखी थी। इसलिए यहां पर जीव गोस्वामी, रूप गोस्वामी, भक्त रघुनाथ, सनातन गोस्वामी, रघुनाथ दास और गोपाल भट्ट गोस्वामियों की साधना स्थली है।
राधा दामोदर मंदिर की होली क्यों है खास?
राधा दामोदर मंदिर आज से लगभग 500 साल पुराना है। मंदिर में राधा रानी और श्रीकृष्ण की कई तस्वीरें और मूर्तियां मौजूद हैं। बता दें कि राधा दामोदर मंदिर की होली ब्रज के साथ-साथ पूरे देश में फेमस है। यहां होली से एक माह पहले ही होली खेलनी शुरू हो जाती है। हालांकि यहां पर होली सुबह और शाम दोनों समय खेली जाती है। इसके अलावा होली के दिन यहां कई भव्य आयोजन भी किए जाते हैं, जिसमें नाच-गाने के साथ-साथ भजन का रंगमंच भी सजता है।
today’s daily shringar darshan…
shri thakur Radha Madan Mohan ji maharaj Mandir
VRINDAVAN DHAM..🌺🌹🌷🌺🍁💐🌷🌷 pic.twitter.com/n0KV8O2RPm— Shri Banke Bihari Ji Vrindavan (@banke_shri) May 13, 2022
राधा दामोदर मंदिर की मान्यता
अगर आप यहां पर राधा रानी और श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए आते हैं, तो आप मंदिर में मौजूद गिरिराज शिला के भी दर्शन करें। यहां पर विशाल गिरिराज शिला स्थापित है, जिसकी अपनी मान्यता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर की चार परिक्रमा करता है, उसे गोवर्धन गिरिराज की परिक्रमा के समान फल मिलता है। इसलिए लोग दूर-दूर से यहां श्रीकृष्ण और राधा रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
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