Greater Noida News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2001 में यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक विकास को गति देने के लिए गठित यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. यीडा का अधिसूचित क्षेत्र तीन लाख हेक्टेयर तक विस्तारित हो चुका है, प्राधिकरण अभी तक केवल पहले चरण के विकास कार्यों तक ही सीमित रहा है. शासन को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि दो लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल यथास्थिति में पड़ा रह गया है, जिससे वहां के ग्रामीण विकास की दौड़ में पीछे छूट सकते हैं. इसी को देखते हुए नियोजन विभाग ने गहन समीक्षा और रणनीति निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
1149 गांव अधिसूचित
वर्ष 2001 में यीडा गठन के समय छह जिलों के 1189 गांव इसके अधीन अधिसूचित किए गए थे. इनमें गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, मथुरा, आगरा के गांव शामिल है. हालांकि समय के साथ नगर पंचायतों के गठन और सीमा विस्तार के चलते अब यह संख्या घटकर 1149 हो गई है, लेकिन इसके बावजूद भी प्राधिकरण अब तक केवल फेज-1 के 107 गांवों को ही मास्टर प्लान 2041 में शामिल कर पाया है, जबकि फेज-1 में गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के कुल 225 गांव अधिसूचित हैं.
कागजों में रह गया फेज-2
यीडा ने फेज-2 के लिए कुछ योजनाएं जरूर तैयार की हैं. इनमें अलीगढ़ के टप्पल-बाजना क्षेत्र, मथुरा में राया अर्बन सेंटर (11-14 हजार हेक्टेयर) आगरा में न्यू आगरा (14 हजार हेक्टेयर) हाथरस में 10 हजार हेक्टेयर का नया शहरी विकास क्षेत्र मुख्य है. इस पर अभी कोई विकास शुरू नहीं हो पाया है. यह अभी सिर्फ कागजों में ही है.
अब शासन की समिति करेगी गहराई से मंथन
नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने यीडा के अधिसूचित क्षेत्रों को लेकर विकास के विभिन्न विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है. इस समिति में यीडा के सीईओ राकेश कुमार सिंह को भी सदस्य बनाया गया है. यीडा के सीईओ राकेश कुमार सिंह ने कहा है कि हमारा प्रयास है कि अधिसूचित क्षेत्र के सभी गांवों का समग्र और संतुलित विकास सुनिश्चित हो. इसके लिए समिति द्वारा सभी संभावित मॉडल्स पर विचार किया जा रहा है.
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