Greater Noida News : यमुना सिटी की हवा इन दिनों तेजी से दूषित होती जा रही है. चार दिन के भीतर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 264 के स्तर तक पहुंच गया है, जो ‘खराब श्रेणी’ में आता है. यह स्थिति खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों और सांस संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक मानी जा रही है.
सड़कों पर खुले में उड़ रही धूल
निर्माण कार्यों की तेज रफ्तार और सड़कों पर खुले में पड़ी निर्माण सामग्री से उड़ती धूल वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बन रही है. वहीं, भारी वाहनों की लगातार आवाजाही ने भी स्थिति को और बिगाड़ दिया है. कई प्रयास के बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही है.
निर्माण स्थलों पर नहीं हो रहा धूल नियंत्रण का पालन
यीडा सिटी में चल रही आवासीय, औद्योगिक और सड़क परियोजनाओं में धूल नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं. कई जगहों पर निर्माण सामग्री खुले में रखी हुई है, जिस पर पानी का छिड़काव भी नहीं किया जा रहा. इस वजह से हवा में सूक्ष्म कणों (PM 2.5 और PM 10) की मात्रा लगातार बढ़ रही है.
धीमी हवा और पराली जलाने से बढ़ी समस्या
आसपास के ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने के मामलों में भी वृद्धि हुई है. मौसम विभाग के अनुसार पिछले कुछ दिनों से हवा की गति बेहद धीमी होने के कारण प्रदूषक ऊपर नहीं उठ पा रहे, जिससे धुंध की परत शहर के ऊपर जमी हुई है. इस धुंध के कारण दृश्यता घट गई है और लोगों को आंखों में जलन, खांसी, सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियां हो रही हैं.
ग्रीन बेल्ट भी धूल से ढकी
बढ़ते प्रदूषण का असर शहर की हरियाली पर भी दिखने लगा है. पार्कों और ग्रीन बेल्ट की हरियाली पर धूल की मोटी परत जम चुकी है. नगर निगम की ओर से पानी का छिड़काव न होने से पौधे सूखने लगे हैं और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ता जा रहा है.
स्थानीय निवासियों में बढ़ी चिंता
निवासियों का कहना है कि शाम होते ही सड़कों पर धुंध की परत छा जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. लोग मास्क पहनकर निकलने को मजबूर हैं. डॉक्टरों ने सलाह दी है कि प्रदूषण के इस दौर में सुबह की सैर और बाहर की गतिविधियों से बचना चाहिए.
ये भी पढ़ें: यीडा सिटी में हाई स्पीड में दौड़ेगा उद्योग का पहिया, दिसंबर 2026 तक सभी इकाइयों को चालू करने का लक्ष्य










