(रिपोर्ट: मनोज पांडे)
हुगली के बालागढ़ के पोटागाछी स्थित एक बूथ से लगभग सभी मतदाताओं के नाम गायब हो गए हैं. मतदाताओं को डर है कि SIR में उनका नाम छूट जाएगा. हुगली के बालागढ़ की एकतारपुर पंचायत के पोटागाछी गांव में लगभग 900 लोगों के नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं हैं.
हुगली जिले के बालागढ़ प्रखंड की एकतारपुर पंचायत के पोटागाछी गांव में मतदाता सूची को लेकर शिकायत है कि गांव के एक बूथ के लगभग 900 मतदाताओं के नाम चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित 2002 की मतदाता सूची में नहीं हैं. लेकिन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जानकारी देखने पर उनके नाम 2003 की मतदाता सूची में दिखाई दे रहे हैं. गांव में दहशत फैल गई है.
गांव के लोगों का दावा है कि वे कई सालों से इस इलाके के निवासी हैं. सभी के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, जमीन के दस्तावेज और मतदाता पहचान पत्र हैं. हालांकि, उन्हें डर है कि उनका नाम एसआईआर में शामिल हो जाएगा क्योंकि उनका नाम 2002 की सूची में नहीं है. उनका यह भी दावा है कि उन्होंने 2002 से पहले या बाद में वोट दिया था.
गांव वालों ने कहा, ‘हम यहीं पैदा हुए, यहीं पले-बढ़े. हमने टैक्स दिया, हमने वोट दिया. आज अचानक हमें बताया जा रहा है कि हमारा नाम अंतिम एसआईआर सूची में नहीं है. तो हम कौन हैं?’
वेबसाइट खोलने पर 2003 की सूची दिखाई देती है, लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि 2002 की सूची अंतिम है. हम किस पर विश्वास करें? इससे पहले, बालागढ़ प्रखंड के बकुलिया ग्राम पंचायत के करिन्या गांव में लगभग 1500 लोगों के नाम 2002 की सूची में न होने को लेकर चिंता थी. इस बार पोटागाछी के निवासियों को भी ऐसी ही समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जिले में कई जगहों पर ऐसी गड़बड़ी पाई गई है, जिसकी जांच चुनाव विभाग कर रहा है. मतदाताओं के नाम गायब होने के बाद से, ग्रामीण हर दिन प्रखंड कार्यालय में उमड़ रहे हैं. कुछ लोग आवेदन जमा कर रहे हैं, तो कुछ स्थानीय नेताओं के साथ घर-घर जा रहे हैं.
मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है. जिन लोगों के नाम गलती से छूट गए हैं, वे कृपया फॉर्म भरकर आवेदन करें. प्रशासन ने सूचित किया है कि वैध मतदाताओं के नाम अवश्य शामिल किए जाएंगे. दस्तावेज दिखाकर और सुनवाई में उपस्थित होकर मतदाता सूची में नाम शामिल किए जाएंगे. डरने की कोई बात नहीं है, भले ही नाम 2002 के एसआईआर में नहीं है. चुनाव आयोग ने पहले ही सूचित कर दिया है. फिर भी, गांव के लोग अपने नाम छूट जाने से डरे हुए हैं.
तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने गांव में एक बैठक कर इस घटना के बारे में लोगों की शिकायतें सुनी हैं. तृणमूल ने भी इस मामले पर सवाल उठाए हैं.










