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पंजाब में टीकाकरण अभियान तेज, लम्पी वायरस के रोकथाम के लिए करीब 1.16 लाख पशुओं को लगे टीके

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री स. भगवंत मान की हिदायतों के बाद राज्य में पशुओं में फैली लम्पी स्किन की बीमारी की रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग द्वारा टीकाकरण मुहिम और तेज कर दी गई है और अब तक करीब 1.16 लाख पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा चुकी है। राज्य में चलाई जा […]

Edited By : Yashodhan Sharma | Updated: Aug 12, 2022 03:06
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लंपी वायरस
लंपी वायरस

चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री स. भगवंत मान की हिदायतों के बाद राज्य में पशुओं में फैली लम्पी स्किन की बीमारी की रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग द्वारा टीकाकरण मुहिम और तेज कर दी गई है और अब तक करीब 1.16 लाख पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

राज्य में चलाई जा रही टीकाकरण मुहिम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए पशु पालन विभाग के प्रमुख सचिव  विकास प्रताप ने बताया कि विभाग को पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी के लिए सरकार द्वारा प्रमाणित वैक्सीन की लगभग 2.34 लाख डोज़ प्राप्त हुए हैं, जो पहले ही पंजाब भर के सभी जिलों को भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा विभाग ने टीकाकरण मुहिम के लिए ईलाज और अन्य सामान की खरीद के लिए विभिन्न जिलों को 76 लाख रुपए जारी किए हैं।

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उन्होंने बताया कि वैटरनरी बायोलॉजीकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद से खऱीदी गई वैक्सीन के साथ विभाग द्वारा अब तक 1,15,985 से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।

उन्होंने आगे कहा कि फील्ड से मिली प्राथमिक रिपोर्टों के अनुसार बीमारी स्थिर हो गई लगती है, हालाँकि अगले कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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उन्होंने आगे बताया कि लम्पी स्किन बीमारी पशुओं और भैंसों की एक वायरल बीमारी है, जो मक्खियों और मच्छरों के साथ-साथ कृषि मज़दूरों और प्रभावित पशुओं के द्वारा मकैनिकल ट्रांसमिशन के ज़रिए फैलती है। बीमारी की पहचान 2-3 दिनों के लिए हलके बुख़ार और चमड़ी पर सूजन होने से होती है। प्रभावित जानवर आम तौर पर 2-3 हफ़्तों के अंदर ठीक हो जाते हैं।

विकास प्रताप ने बताया कि विभाग द्वारा टीकाकरण मुहिम और राहत कार्यों के लिए वैटरनरी अफ़सरों और वैटरनरी इंस्पेक्टरों की कुल 673 टीमें गठित की गई हैं, जो राज्य में बीमारी के ईलाज और रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की बाकायदा पालना कर रही हैं, जिसमें प्रभावित जानवरों को अलग रखना, पशुओं और कृषि मज़दूरों की आवाजाही को नियंत्रित करना, पशु शैडों को कीटाणू-मुक्त करना शामिल है। इससे इस बीमारी को आगे फैलने से रोका जा सके।

गौरतलब है कि है लम्पी स्किन की बीमारी अफ्रीका महाद्वीप से शुरू हुई थी और इस साल के शुरू में इस बीमारी ने गुजरात और राजस्थान राज्यों को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

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Yashodhan Sharma

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Yashodhan Sharma

First published on: Aug 11, 2022 11:18 PM

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