Greater Noida News: यमुना सिटी में प्रदूषण की मार लगातार बढ़ती जा रही है. 8 नवंबर से रेड जोन में दर्ज यह क्षेत्र अब तक वायु प्रदूषण से उबर नहीं पाया है. बृहस्पतिवार को भी यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 329 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है. प्रदूषण का स्तर गिरने के बजाय स्थिर बना हुआ है, जिससे लोगों की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं.
निर्माण कार्यों से उड़ रही धूल, सांस लेना हुआ मुश्किल
क्षेत्र में इन दिनों कई जगहों पर आवासीय और औद्योगिक परियोजनाओं का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. साथ ही सड़क निर्माण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इन निर्माण स्थलों पर खुले में रखी रेत, मिट्टी और सीमेंट से धूल उड़कर वातावरण को दूषित कर रही है. निर्माण सामग्री पर नियमित पानी का छिड़काव न होने के कारण धूल हवा में घुलकर सांस लेना मुश्किल बना रही है.
कूड़ा जलाने से और बिगड़ रहे हालात
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, कई जगहों पर कूड़े-कचरे में आग लगाने की घटनाएं भी आम हो गई हैं. इससे धुआं और जहरीली गैसें वातावरण में मिलकर प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रही हैं. प्रदूषण नियंत्रण के तमाम आदेशों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नजर नहीं आ रहा है.
लोगों की सेहत पर असर
बढ़ते प्रदूषण का असर अब लोगों की सेहत पर साफ दिखने लगा है. आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी और सिरदर्द जैसी शिकायतें बढ़ रही हैं. स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि हवा में मौजूद पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है, जिससे अस्थमा और एलर्जी के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है.
निगरानी पर उठ रहे सवाल
निवासियों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर केवल औपचारिकताएं की जा रही हैं. निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन और पानी के टैंकर तैनात करने के दावे तो हैं, लेकिन ज्यादातर जगह इनका असर दिखाई नहीं दे रहा. लोगों की मांग है कि निर्माण कार्यों की निगरानी कड़ी की जाए और खुले में कूड़ा जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई हो.
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