Greater Noida News: यमुना प्राधिकरण (यीडा) 2009 की आवासीय भूखंड योजना के आवंटियों की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए प्राधिकरण विधिक राय ले रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल में दिए फैसले में रेरा के उस आदेश को सही ठहराया था, जिसमें यीडा को आवंटियों को विलंबित कब्जे के लिए ब्याज चुकाने के निर्देश दिए गए थे.
कब्जा देने में हुई देरी, बढ़ा आवंटियों पर बोझ
यीडा ने 2009 में पहली आवासीय भूखंड योजना के तहत करीब 21 हजार भूखंडों का आवंटन किया था. योजना के अनुसार 2013 तक आवंटियों को भूखंडों पर कब्जा मिलना था, लेकिन किसानों के साथ कानूनी विवादों के चलते यह संभव नहीं हो सका.
अतिरिक्त मुआवजा राशि का बोझ
इसके बाद शासनादेश के तहत आवंटियों पर 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा राशि का बोझ भी डाल दिया गया. 2017 में रेरा के गठन के बाद आवंटियों ने कब्जा देने में देरी और अतिरिक्त भार को लेकर यीडा के खिलाफ अपील दायर की.
रेरा ने आवंटी के पक्ष में दिया फैसला
रेरा ने आवंटियों के पक्ष में फैसला देते हुए विलंबित कब्जे पर 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया था. हालांकि सितंबर 2023 में रेरा अपील अधिकरण ने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि यीडा आवंटन की तारीख से चार साल बाद या कुल प्रीमियम की 75 प्रतिशत राशि जमा होने की तिथि (जो बाद में हो) से लेकर कब्जा, पूर्णता और अधिभोग प्रमाणपत्र जारी होने तक एमसीएलआर के साथ एक प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करें.
हाईकोर्ट ने ब्याज भुगतान का आदेश बरकरार रखा
हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर को सुनाए फैसले में अपील अधिकरण के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि पूर्व भुगतान के समायोजन और ब्याज की गणना का तरीका सही है. अब यीडा इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर रहा है.
इतने भूखंडों पर पूरी हुई कार्रवाई
2009 की इस योजना के तहत सेक्टर 18 में 9,865 और सेक्टर 20 में 10,541 भूखंड आवंटित किए गए थे. अब तक 16,562 भूखंडों की चेकलिस्ट जारी हो चुकी है, जबकि करीब 12,000 भूखंडों की रजिस्ट्री पूरी कराई जा चुकी है.
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