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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

नजूल बिल क्या? जिसे विधानसभा में पास कराने के बाद पीछे हटी योगी सरकार, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Nazul Bill UP: योगी सरकार के बहुप्रतीक्षित नजूल लैंड बिल अब ठंडे बस्ते में चला गया है। जानकारी के अनुसार बीजेपी के विधायकों ने इसे लेकर सीएम योगी से मीटिंग की और बिल की कमियां गिनाईं। इसके बाद इसको लेकर एक रणनीति बनाई गई।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Aug 2, 2024 13:14
Nazul Land Bill UP
नजूल लैंड बिल को लेकर बैकफुट पर क्यों आई योगी सरकार

Nazul Bill UP: यूपी विधानपरिषद में मानसून सत्र के आखिरी दिन योगी सरकार ने नजूल विधेयक पेश किया। लेकिन यहां बीजेपी एमएलसी और अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की सिफारिश की। इससे पहले इस विधेयक को बुधवार को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था। ऐसे में विधानसभा से पारित होने के एक दिन बाद ही योगी सरकार इस बिल से पीछे हट गई है। विधान परिषद में जब केशव मौर्या इस विधेयक को पेश कर रहे थे उस वक्त बीजेपी अध्यक्ष और एमएलसी भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश कर दी।

क्या सरकार नजूल विधेयक को बिना किसी चर्चा के ही विधानसभा में लाई थी। ऐसा क्या कारण रहा कि योगी सरकार को इस बिल को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। जैसे ही डिप्टी सीएम केशव मौर्या संपत्ति विधेयक को विधान परिषद में पेश करते हैं इसके बाद एमएलसी भूपेंद्र चौधरी इस पर आम सहमति नहीं बन पाने की बात कहकर उसे प्रवर समिति को भेज देने की बात कह देते हैं। ऐसे में योगी सरकार के विधेयक को विधान परिषद में रोके जाने को लेकर लखनऊ के सियासी गलियारों में चर्चा चली कि सरकार के फैसले को संगठन ने रोक दिया है।

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बिल को लेकर बीजेपी विधायकों ने किया विरोध

विधानसभा में बीजेपी के विधायकों ने इस बिल को लेकर जमकर विरोध किया। बीजेपी विधायक हर्ष वाजपेयी और प्रयागराज से विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने राजा भैया और विपक्ष के विधायकों के साथ मिलकर विरोध किया। विधायकों ने बिल में संशोधन की मांग की। उन्होंने कहा कि नजूल जमीन पर लीज बढ़ाने का प्रावधान होना चाहिए। ऐसे में सरकार ने इसे बढ़ाकर 30 साल कर दिया।

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सरकार ने बनाया ये प्लान

जानकारों की मानें तो विधानसभा में बिल के ध्वनि मत से पारित होने के बाद बीजेपी के कई विधायकों ने बुधवार शाम को सीएम योगी से मुलाकात की। उन्होंने बिल में खामियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि इससे लाखों लोग प्रभावित होंगे। पीढ़ियों से बसे लोगों से प्रशासन जब चाहेगा तब जमीन और जायदाद छीन लेगा। इसके बाद सीएम, दोनों डिप्टी सीएम और संसदीय कार्य मंत्री ने मिलकर रणनीति बनाई और विधान परिषद में भूपेंद्र चौधरी को बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की सिफारिश करने की बात कही।

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ऐसे में यह सब कुछ एक प्लान के अनुसार हुआ। क्योंकि बिल विधानसभा से पास हो चुका था। ऐसे में अब उसे विधान परिषद को भेजना था। विधान परिषद में बिल के पेश होते ही उसे भूपेंद्र चौधरी ने उसे प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश कर दी।

जानें क्या है नजूल भूमि

बता दें कि आजादी से पहले आंदोलन करने वालों की जमीनों को तत्कालीन अंग्रेज सरकार जब्त कर लेती थी। आजादी के बाद ये जमीन सरकार के हिस्से में चली गई। इसके बाद राज्य सरकारें इस जमीन को 15 से 99 साल के लिए लीज पर देने लगी। बता दें कि पूरे देश में नजूल की भूमि है।

First published on: Aug 02, 2024 12:11 PM

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