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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

सपा का दलित चेहरा, राणा सांगा को गद्दार बता आए विवादों में; कौन हैं सांसद रामजी लाल सुमन?

उत्तर प्रदेश की राजनीति सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान के बाद गर्माई हुई है। सुमन यूपी के बड़े दलित नेता माने जाते हैं। छात्र राजनीति से उन्होंने करियर की शुरुआत की थी, फिलहाल सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। राणा सांगा पर टिप्पणी कर वे चर्चा में हैं। उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Mar 23, 2025 14:08
Ramji Lal Suman

उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (SP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान के बाद उबाल देखने को मिल रहा है। सुमन की पहचान दलित नेता के तौर पर होती है, वे 1999 से 2009 तक फिरोजाबाद लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। 2024 में सपा ने उनको राज्यसभा में भेजा था, सुमन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने नजदीकी माने जाते हैं। उनके पास सपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी है। अखिलेश यादव की पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी PDA राजनीति का वे बड़ा चेहरा माने जाते हैं। हाल ही में औरंगजेब को लेकर उठे मामले के बीच वे राणा सांगा को गद्दार बताने पर चर्चा में आए हैं।

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सुमन ने हाल ही में राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर कहा था कि हिंदुस्तान का मुस्लिम बाबर नहीं, मोहम्मद साहब को आदर्श मानता है। यहां का मुस्लिम सूफी-संतों की परंपरा पर चलता है। बीजेपी वालों का तकियाकलाम हो गया है कि इनमें बाबर का DNA है। वे हर जगह यही बात कहते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि बाबर को लाया कौन था? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा बाबर को लाया था। उन्होंने सवाल किया कि अगर मुस्लिम बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।

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हिंदुस्तान में बाबर के साथ राणा सांगा की आलोचना भी हो, यह तय होना चाहिए। बता दें कि रामजी लाल सुमन का जन्म 25 जुलाई 1950 को यूपी के हाथरस जिले के बहदोई गांव में हुआ था। गांव में प्रारंभिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षा हाथरस में हुई। इसके बाद उन्होंने आगरा कॉलेज से ग्रेजुएशन की। इस दौरान ही वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे।

26 साल में बने सांसद

उनके भाई कालीचरण भी नेता हैं। सुमन की पत्नी का देहांत एक दशक पहले हो चुका है। वे आगरा के संजय प्लेस में एक सामान्य फ्लैट में रहते हैं। उनकी गिनती धोती-कुर्ता वाले नेताओं में होती है। आपातकाल के दौरान सुमन को जेल जाना पड़ा था। 1977 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इस दौरान उनकी उम्र महज 26 साल थी। इसके बाद 1989 में दोबारा जीत हासिल की।

1991 में बने मंत्री

1991 में सुमन ने चंद्रशेखर सरकार में श्रम कल्याण, महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। 1993 में सपा के गठन के बाद वे मुलायम सिंह यादव के साथ चले गए। 1999 और 2004 में उन्होंने फिर फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव जीता। अब उनकी गिनती अखिलेश यादव के करीबियों में होती है। वे सपा अध्यक्ष के भरोसेमंद नेता माने जाते हैं, जो हर मुद्दे पर अखिलेश के साथ मजबूती के साथ खड़े दिखते हैं।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Mar 23, 2025 02:08 PM

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