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Utterkashi Tunnel Collapse : सिल्कियारा टनल से रेस्क्यू किए गए 41 मजदूर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे; बताया-कैसे बीते वो 12 घंटे

Workers Rescued From Silkyara Tunnel Arrive At Delhi Airport : उत्तरकाशी से गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे सुरंग से निकाले गए मजदूरों ने बताया कि हादसे के बाद शुरुआत में थोड़ी सी घबराहट हुई थी, लेकिन फिर...

Edited By : Balraj Singh | Updated: Nov 30, 2023 23:37
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Utterkashi Tunnel Collapse Case, उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल से रेस्क्यू किए गए सभी 41 मजदूर गुरुवार देर रात राजधानी दिल्ली के एयरपोर्ट पहुंचकर देश के विभिन्न इलाकों में पड़ते अपने-अपने घर की राह पर हैं। इस दौरान उन्होंने बताया कि टनल में फंस जाने के बाद जब तक उनके पास खाने को कुछ पहुंचा तो वो 12 घंटे उन्होंने किस तरह बिताए। दरअसल, 17 दिन के लंबे संघर्ष के बाद हाल ही में दो दिन पहले मंगलवार को ही इन्हें सुरक्षित निकाला गया है। इसके बाद से ये अस्पताल में डॉक्टर्स की देखरेख में थे।

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शुरुआत में थोड़ा घबराए, लेकिन फिर हो गए थे नॉर्मल

उत्तरकाशी से दिल्ली पहुंचे मजदूरों में से एक ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हादसे के बाद पहले तो वह और उसके साथी थोड़ा घबरा गए थे। हालांकि बाद में सब सामान्य हो गया। उससे पूछा गया कि सुरंग के अंदर मदद कब तक पहुंची तो उसने बताया कि 12 घंटे के बाद जब उनके पास खाने के लिए कुछ पहुंचा तो तब घोर अंधेरे में भी आंखें उम्मीद की किरण से चमकने लगी। उन्हें खुशी ही नहीं गर्व भी है कि उनकी जान बचाने के लिए देश की सरकार ने पूरी मदद की और रेस्क्यू में लगे लोगों ने अपनी जान पर खेलकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। इसके लिए जितना धन्यवाद किया जा सके, कम है।

दिवाली के दिन हुआ था हादसा

गौरतलब है कि देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत ब्रह्माखाल-यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्कयारा टनल का निर्माण चल रहा है। लगभग 853.79 करोड़ रुपए की लागत से बन रही कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर लंबी इस टनल के बन जाने से होने से धरासू से यमुनोत्री की दूरी 26 किलोमीटर कम होगी आने-जाने में एक घंटे का समय बचेगा। प्रोजेक्ट 2018 में पास हुआ था और 2022 तक इस सुरंग को बनाने की डेडलाइन थी, लेकिन कोरोना काल के कारण सुरंग नहीं बन पाई और अब जब इसे बनाने का काम शुरू किया गया तो हादसा हो गया। 12 नवंबर 2023 दिवाली वाले दिन की सुबह करीब साढ़े 5 बजे अचानक लैंडस्लाइड हुआ और निर्माणाधीन सुरंग पर मलबा गिर गया और आंशिक रूप से धंस जाने के बाद से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए।

अमेरिकी मशीन से नहीं चला काम तो स्वदेशी तकनीक ने दिखाया जलवा

इन मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है। 17 नवंबर को चट्टान आने के बाद ड्रिलिंग रोकनी पड़ी थी। इसके बाद टनल के प्रवेश द्वार से एक बार फिर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई, लेकिन बावजूद इसके इन्हें निकाला जाना अभी मुमकिन नहीं हो पा रहा था। मजदूरों की जान सुरक्षित बचाने के लिए अमेरिका लाई गई ऑगर मशीन फेल होने के बाद टनल के अंदर रैट होल माइनिंग की गई। इसी के साथ रैट होल माइनिंग के एक्सपर्टों ने हाथों के औजारों से मलबे को हटाया और पाइपलाइन को अंदर डाला। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों को टनल से बाहर लाया गया। इसके अलावा मौके पर मजदूरों के लिए डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस तैनात हैं, ताकि घायल मजदूरों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सके। इन मजदूरों को एनडीआरएफ टीम ने एक लंबे पाइप के जरिए बाहर निकाला है। इसके लिए सिलक्यारा टनल में 55.3 मीटर लंबे पाइप के साथ दूसरे पाइप को वेल्ड करके जोड़ा गया था।

Utterkashi Tunnel Collapse Case : The 41 rescued workers from the Silkyara tunnel arrive at Delhi Airport | Know how they felt inside

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Written By

Balraj Singh

First published on: Nov 30, 2023 11:37 PM

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