5 August 1978 Kanodia Flood: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदाएं तबाही का मंजर दिखाती रही हैं। बादल फटने, भूस्खलन होने और भूकंप आने से उत्तरकाशी में तबाही मचती रही है। उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं मानसून सीजन में खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में होती हैं, जिससे आई प्राकृतिक आपदा भयंकर तबाही मचाई है। जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है। 5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद आई प्राकृतिक आपदा ने साल 1978 में आई कनोडिया गाड़ बाढ़ की याद दिलाई दी, जिसने भयंकर तबाही मचाई थी।
No Words !
Just Pray🙏🙏🙏 for Wellbeing of people and Indian Army that are /residing/living/posted in the Landslide-Cloudburst affected Areas of Bhagirathi valley of Uttarkashi District of Uttarakhand. #uttarkashicloudburst https://t.co/p5xQPActrc---विज्ञापन---— Aditya Rajwal Uncensored (@AdityaRajw60205) August 5, 2025
क्या हुआ था 5 अगस्त 1978 को?
बता दें कि 5 अगस्त 1978 को उत्तरकाशी के कनोडिया गाड़ में भारी बारिश और भूस्खलन से भयंकर बाढ़ आई थी। भागीरथी घाटी में कनोडिया गाड़ क्षेत्र में भूस्खलन के कारण मलबा भागीरथी नदी में जमा हो गया था, जिससे नदी का प्रवाह रुका गया और बाढ़ आ गई थी। मानसून सीजन में भारी बारिश और बर्फ के पिघलने से इलाके में पहाड़ी संरचना कमजोर हुई। इसलिए जब भयंकर बारिश हुई तो गैरारिधार के पास भूस्खलन हो गया, जिसके कारण मिट्टी और चट्टानों का मलबा कनोडिया गाड़ के रास्ते भागीरथी नदी में पहुंचा।
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कनोडिया गाड़ के मलबे से बना था बांध
कनोडिया गाड़ में आए मलबे ने भागीरथी नदी के प्रवाह को रोक दिया था, जिससे एक प्राकृतिक बांध बन गया था और जब यह बांध टूटने तो भयंकर बाढ़ आई थी, जिसने आस-पास बसे गांवों में भारी तबाही मचाई थी। पानी में डूबने से खेत, घर और सड़कें नष्ट हो गई थीं। यह आपदा मुख्य केंद्रीय थ्रस्ट (Main Central Thrust – MCT) के पास आई थी, जो हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन और बाढ़ के मद्देनजर काफी संवेदनशील एरिया है। कनोडिया गाड़ की आपदा 5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी की हर्षित घाटी में आई आपदा के जैसी ही है।
''People fleeing from homes to stay alive, but many were seen being swept away in no time''
— Sahitya (@mr_raj____) August 5, 2025
Massive devastation in Dharali village near Gangotri Dham, likelihood of many people being killed.#Uttarakhand #Uttarkashi #Cloudburst #Dharali pic.twitter.com/VJUQVTGoPd
खीरगंगा के मलबे से बन रही है झील
क्योंकि भारी बारिश से भूस्खलन होने पर कनोडिया गाड़ में पानी और मलबा आया था, जिसने भागीरथी नदी का प्रवाह रोक दिया था और एक बांध बना दिया था, जिसके टूटने के बाद भयंकर तबाही मची थी। 5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली गांव और हर्षिल घाटी में बादल फटने की घटना के बाद खीरगंगा नदी में सैलाब आया है, जिसने भागीरथी नदी का प्रवाह रोक दिया है, जिसके चलते एक झील बन रही है और जब उस झील में पानी का स्तर बढ़ेगा और वह बाहर निकलेगा तो आस-पास के इलाके में भयंकर तबाही मचाएगा।
The unfortunate incident of cloudburst in Uttarkashi is extremely sad. Our deepest condolences to the families who have lost their loved ones. We wish for the speedy recovery of the injured and safe return of the missing. #Uttarkashi #Uttarakhand#Uttarakhand pic.twitter.com/nL8mruIksx
— Raushan Raaz (@R4raushan_BR32) August 5, 2025
उत्तरकाशी में आई अन्य आपदाएं
24 अगस्त 1984 को ज्ञानसू नाला में बादल फटना से अचानक बाढ़ आई थी, जिसने उत्तरकाशी के निचले इलाकों में तबाही मचाई थी। कई घर और दुकानें बह गई थीं। 20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में 6.8 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र जिला मुख्यालय के पास था। यह हिमालयी क्षेत्र के मुख्य केंद्रीय थ्रस्ट (MCT) से जुड़ा था। इससे 750 से 1000 लोगों की मौत हुई थी और हजारों घर नष्ट हो गए थे।
सितंबर 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन हुआ था, जिसने उत्तरकाशी शहर के मस्जिद मोहल्ला और मशेड मोहल्ला को डुबोया था। दोनों इलाकों में कई होटल, घर और दुकानें ध्वस्त हो गई थीं। 16-17 जून 2013 को केदारनाथ और उत्तरकाशी में बाढ़ आई थी। भारी बारिश और बादल फटने से मंदाकिनी और भागीरथी नदियों में बाढ़ आई थी, जिससे उत्तरकाशी के गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्र प्रभावित हुए। 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
उत्तरकाशी में सड़कें, पुल और तीर्थस्थल ध्वस्त हो गए थे। बता दें कि साल 2019 में 23, साल 2020 में 14, साल 2021 में 26 और साल 2022 में 31 बादल फटने की घटनाएं उत्तराखंड मे हो चुकी हैं, जिनमें साल 2013 की केदारनाथ में आई आपदा सबसे भयानक आपदा थी।