Uttarakhand Tunnel Rescue Operation Latest Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) में आज 12वें दिन भी बचाव अभियान जारी है, जो अपने अंतिम चरण में है। ऐसे में आज अगले 5 घंटे काफी अहम हैं। पिछले 12 दिन से सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के आज टनल से बाहर आने की उम्मीद है। गुरुवार 23 नवंबर को मजदूरों तक पहुंचने की राह सिर्फ 16 मीटर दूर रह गई थी कि ऑगर मशीन में खराबी आ गई। 18 मीटर की खुदाई शुरू की गई थी, लेकिन 1.8 मीटर की ड्रिलिंग के बाद खुदाई रोकनी पड़ी। बचाव अभियान में शामिल अधिकारियों ने पुष्टि की कि गुरुवार को मशीन में मलबे से सरिया फंस गया, जिससे मशीन के कुछ हिस्से टूट गए।
#WATCH उत्तरकाशी सुरंग बचाव | | सुरंग के बाहर से सुबह के दृश्य।
ऑगर ड्रिलिंग मशीन में तकनीकी खराबी आने के बाद कल ड्रिलिंग कार्य रोक दिया गया था। अब तक बचावकर्मी सिल्कयारा सुरंग में 46.8 मीटर तक ड्रिल कर चुके हैं। pic.twitter.com/Q2BNTrvHh2
---विज्ञापन---— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 24, 2023
टनल के बाहर डॉक्टर और एंबुलेंस तैनात
वहीं ड्रिलिंग पूरी होने के बाद NDRF की टीम ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 मिलीमीटर के पाइप से अंदर जाएंगे और एक-एक कर सभी मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, NDRF की टीम मजदूरों को बाहर के तापमान और अंदर के तापमान का अंतर बताएगी, इसलिए मजदूरों को तुरंत बाहर नहीं लाया जाएगा। मजदूरों को अगर कमजोरी महसूस होती है तो उन्हें स्केट्स लगी अस्थायी ट्रॉली के जरिए खींचकर बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए 41 एंबुलेंस टनल के बाहर तैनात की गई हैं। तबीयत खराब होने की स्थिति में सभी मजदूरों को चिल्यानीसौड़ सामुदायिक केंद्र लाया जा सकता है। यहां 41 बेड का हॉस्पिटल तैयार किया गया हैं। चिल्यानीसौड़ पहुंचने में करीब 1 घंटा लगेगा, जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार है। मजदूरों की तबीयत ज्यादा खराब होने की स्थिति में उन्हें ऋषिकेश एम्स लाया जा सकता है।
पिछले 12 दिन में कब और क्या-क्या हुआ?
12 नवंबर: दिवाली के दिन सुबह करीब 5.30 बजे लैंडस्लाइड हुआ। निर्माणाधीन सिल्क्यारा-दंदालगांव सुरंग का हिस्सा ढहने से 41 मजदूर फंस गए। NDRF, SDRF, BRO, प्रोजेक्ट से जुड़ी एजेंसी NHIDCL और ITBP समेत कई एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं। मजदूरों को एयर-कंप्रेस्ड पाइप के जरिए ऑक्सीजन, बिजली और खाना दिया गया।
13 नवंबर: ऑक्सीजन पाइप के जरिए मजदूरों से संपर्क करके उनके सुरक्षित होने की पुष्टि की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी मौके पर पहुंचे। शुरुआत में करीब 30 मीटर का एरिया मलबे से ब्लॉक रहा, लेकिन सुरंग में ऊपर से और मलबा गिरा, जिससे 60 मीटर का एरिया ब्लॉक हो गया। ऐसे में मलबे को फैलने से रोकने के लिए कंक्रीट लगाया गया।
14 नवंबर: बरमा मशीन से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई। 800 और 900 मिलीमीटर के स्टील पाइप लगाए गए। ड्रिलिंग के दौरान मलबा गिरने से मजदूर घायल हुए। अंदर फंसे मजदूरों ने सिरदर्द और BP की प्रॉब्लम बताई।
15 नवंबर: पहली ड्रिलिंग मशीन मलबा नहीं भेद पाई। NHIDCLने एक अमेरिकी में बनी ऑगर ड्रिलिंग मशीन दिल्ली से एयरलिफ्ट कराई।
16 नवंबर: ऑगर ड्रिलिंग मशीन को असेंबल करके इन्स्टॉल किया गया। आधी रात को इस मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई।
17 नवंबर: ऑगर मशीन ने दोपहर तक 57 मीटर तक मलबा भेदकर 24 मीटर की ड्रिलिंग पूरी की। 4 पाइप डाले गए, लेकिन 5वां डालने के रास्ते में पत्थर आ गया। इंदौर से एक और ऑगर मशीन आई। ड्रिलिंग की वजह से शाम तक सुरंग में बड़ी दरार आ गई और बचाव अभियान रोक दिया गया।
18 नवंबर: ड्रिलिंग के कारण सुरंग में ऊपर से मलबा गिर सकता है, इसलिए ड्रिलिंग नहीं की गई। PMO के अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम से बात करके सुरंग के ऊपरी हिस्से से होरिजोंटल ड्रिलिंग समेत 5 प्लान बनाए गए।
19 नवंबर: ड्रिलिंग नहीं की गई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौके पर पहुंचे। NDRF, SDRF और BRO ने होरिजोंटल ड्रिलिंग के लिए मोर्चा संभाला।
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20 नवंबर: PM मोदी ने मुख्यमंत्री धामी से रिपोर्ट ली। मलबे के बीचों-बीच 6 इंच चौड़ी पाइप लाइन बिछाई गई। जिससे मजदूरों को खाना और अन्य जरूरी चीजें पहुंचाई गईं, लेकिन होरिजेंटल ड्रिलिंग शुरू नहीं की गई। चट्टान के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग रोकी गई। विदेश से टनलिंग एक्सपर्ट आया। वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई।
21 नवंबर: अंदर फंसे मजदूरों का पहला वीडियो जारी हुआ। पाइप के जरिए खाना भेजा गया। सुरंग के बालकोट-छोर पर 2 ब्लास्ट किए गए, ताकि सुरंग खोदी जा सके। NHIDCL ने सिल्कयारा छोर से बरमा मशीन से होरिजोंटल ड्रिलिंग शुरू की।
22 नवंबर: एम्बुलेंस को स्टैंडबाय रखा। लोकल हॉस्पिटल में स्पेशनल वार्ड बनाया। होरिजोंटल ड्रिलिंग करीब 45 मीटर तक पहुंची। देर शाम को लोहे के सरिये बरमा मशीन में आने से ड्रिलिंग में बाधा आई। वर्टिकल ड्रिलिंग में कामयाबी मिली।
23 नवंबर: लोहे के सरियों के कारण ड्रिलिंग 3 घंटे देर से शुरू हुई। सरिये हटाकर ड्रिलिंग की गई तो सिर्फ 1.8 मीटर तक सफलता मिली। जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन लगाई थी, उसमें दरार आने से ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।
24 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। करीब 9 से 12 मीटर की ड्रिलिंग जारी है।